Tuesday, April 30, 2024

नोएडा में जीएसटी धोखाधड़ी में शामिल पिता-पुत्र की 7 करोड़ की संपत्ति कुर्क

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नोएडा। थाना सेक्टर-20 पुलिस ने 3 हजार करोड़ से अधिक फर्जी फर्म बनाकर 15 हजार करोड़ से अधिक की जीएसटी के धोखाधड़ी करने के मामले दो और आरोपियों की 7 करोड़ से अधिक संपत्ति को कुर्क किया है। इस मामले में चार आरोपियों की संपत्ति अब तक कुर्क हो चुकी है। इस मामले में 3 और आरोपियों की चल और अचल संपत्ति कुर्क होनी है। जीएसटी धोखाधड़ी के मामले में कोर्ट की तरफ से सात के खिलाफ कुर्की के आदेश जारी किया गया है।
थाना सेक्टर-20 के प्रभारी निरीक्षक डीपी शुक्ला ने बताया कि थाना पुलिस ने जून माह में 3 हजार से अधिक फर्जी फर्म बनाकर 15 हजार करोड़ से अधिक के जीएसटी फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। उन्होंने बताया कि अब तक 3 हजार सेल कंपनियों के बारे में पता चला है। इस मामले में 26 लोगों की अब तक गिरफ्तारी हुई है। उन्होंने बताया कि कुछ फरार आरोपियों की घर की कुर्की के आदेश कोर्ट द्वारा दिए गए हैं। थाना प्रभारी ने बताया कि अंचित पुत्र प्रदीप गोयल तथा प्रदीप गोयल पुत्र मिश्रीलाल गोयल की आदर्श नगर दिल्ली स्थित अचल संपत्ति को कुर्क किया गया है, जिसकी  कीमत 7 करोड रुपए है। उन्होंने बताया कि इससे पहले दो आरोपी रोहित नागपाल और अर्जित गोयल की रोहिणी स्थित संपत्ति को पुलिस ने कुर्क किया था। उन्होंने बताया 3 अन्य आरोपियों की संपत्ति को भी जल्द ही पुलिस कुर्क करेगी।
अपर पुलिस उपयुक्त (जोन प्रथम) मनीष कुमार मिश्र ने बताया कि जिन आरोपियों की संपत्ति को कुर्क किया जाएगा उनमें आदर्श नगर दिल्ली निवासी अंचित गोयल, इसके पिता प्रदीप गोयल, रोहिणी दिल्ली निवासी अर्जित गोयल, हिसार हरियाणा निवासी कुनाल मेहता उर्फ गोल्डी, हिसार निवासी बलदेव उर्फ बल्ली, मुबारकपुर दिल्ली निवासी विकास डबास और रोहिणी निवासी रोहित नागपाल शामिल हैं। पूर्व में आरोपियों के घर पर नोटिस चस्पा किया गया था। इसके बाद भी वह न्यायालय के समक्ष पेश नहीं हुए। पुलिस लगातार आरोपियों को खोज रही है, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला। इस मामले में अब तक 29 आरोपियों की गिरफ्तारी देश के अलग-अलग हिस्से से हुई है।
नोएडा पुलिस नौ आरोपियों पर 25-25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित कर चुकी है। अभी भी कई आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। वहीं गिरोह का पर्दाफाश करने वाले पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में ऐसी व्यवस्था बनाई गई है, जिसमें पहले भुगतान किए गए जीएसटी के बदले में क्रेडिट मिल जाते हैं। ये क्रेडिट फर्म के जीएसटी अकाउंट में दर्ज हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि फर्जी कंपनियों द्वारा वास्तविक माल का आदान-प्रदान नहीं किया जाता है। गिरोह के आरोपियों ने जो कंपनियां बनाई थीं, वह धरातल पर नहीं थीं, उसका वजूद महज कागजों में ही था। जाली बिल पर करोड़ों रुपये का लेनदेन दिखाया गया। सभी बिल फर्जी होते थे।

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