भोपाल । मध्यप्रदेश की 15वीं विधानसभा के अंतिम सत्र की शुरुआत हंगामे के साथ हुई। पहले ही दिन जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस तथा भाजपा के विधायकों के बीच जमकर नोकझोंक भी हुई। इसको देखते हुए 12 जुलाई तक के लिए सदन को स्थगित कर दिया गया।
दरअसल, राज्य की 15वीं विधानसभा के अंतिम सत्र के हंगामेदार होने के आसार पहले से ही थे। विपक्षी दल ने आदिवासी अत्याचार, सतपुड़ा अग्निकांड जैसे मामलों को जोरदार तरीके से उठाने की बात कही थी। मंगलवार को सदन शुरू होते ही कांग्रेस के तेवर आक्रामक थे और सदन की कार्यवाही शुरू होते ही यह नजर भी आने लगा। सदन में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम पहुंचे भी नहीं थे, इसके पहले ही कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री कांतिलाल भूरिया ने आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार का मामला उठा डाला, जिस पर संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने व्यंग्य के अंदाज में कहा कि आसन पर बैठ भी नहीं पाए हैं अध्यक्ष महोदय और आपकी मानसिकता समझ में आ रही है।
सदन की कार्यवाही जैसे ही आगे बढ़ी कि फिर दोनों दलों के नेता आमने-सामने थे। वंदे मातरम के बाद संसदीय कार्य मंत्री ने कहा, कांग्रेस ने जिस तरह से वंदे मातरम का अपमान किया है, इसके लिए कांग्रेस की निंदा करता हूं, कांग्रेस ने सदन की परंपरा को तोड़ने की कोशिश की है।
इस पर कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि संसदीय कार्य मंत्री असत्य बोल रहे हैं। वंदे मातरम गीत प्रारंभ नहीं हुआ था। दोनों दलों के विधायकों में जमकर तीखी नोकझोंक हुई। उसके बाद दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और प्रश्नकाल पूरा हुआ।
प्रश्नकाल खत्म होते ही नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने सीधी जिले में आदिवासी पर हुए अत्याचार का मामला उठाया। साथ ही भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने आदिवासी दशमत को अपमानित किया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने भी कहा कि प्रदेश में दो करोड़ आदिवासी हैं। इस घटना से हमारा प्रदेश पूरे देश में कलंकित हुआ है और यह बहुत ही चिंता का विषय है।
इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्वाइंट ऑफ आर्डर उठाते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने यह मामला रख दिया है जो विषय रिकॉर्ड में आ गया है।
इस दौरान कांग्रेस के विधायकों ने कई बार वेल में पहुंचकर नारेबाजी की। आखिरकार विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी।