नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने नए मतदाता पंजीकरण के लिए आधार संख्या की अनिवार्यता पर कथित तौर पर जोर देने पर चुनाव आयोग के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की गुहार वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया कि चुनाव आयोग ने तेलंगाना प्रदेश समिति के जी निरंजन की जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दों को हल करने का दावा किया है।
पीठ ने यह भी कहा कि पिछली याचिका का निपटारा 2023 में कर दिया गया था, जब चुनाव आयोग ने कहा था कि वह इस मुद्दे पर गौर कर रहा है। उसने इसके अनुपालन के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की थी।
इस पर याचिकाकर्ता ने दावा किया कि यह सही है कि चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया था कि नए मतदाता पंजीकरण के लिए आधार संख्या अनिवार्य नहीं है, लेकिन उसके आश्वासन के मुताबिक आवेदन फॉर्म में जरूरी बदलाव नहीं किया गया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे में यह अवमानना कार्रवाई शुरू करने का मामला नहीं है।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने 21 सितंबर 2023 को शीर्ष न्यायालय को बताया कि मतदाता सूची में मतदाताओं के पंजीकरण के लिए आधार नंबर देना अनिवार्य नहीं होगा।
शीर्ष अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए चुनाव आयोग ने कहा था कि ई-रोल में पंजीकरण के लिए वह फॉर्म 6 और 6बी में स्पष्टीकरण परिवर्तन जारी करेगा, जिसमें नए मतदाताओं के लिए मतदाता सूची प्रमाणीकरण के उद्देश्य से आधार संख्या का विवरण आवश्यक है।
चुनाव आयोग ने कहा था कि मतदाताओं के पंजीकरण (संशोधन) नियम 2022 के नियम 26-बी के तहत आधार संख्या जमा करना अनिवार्य नहीं है। जी निरंजन की एक याचिका का जवाब देते हुए चुनाव आयोग के वकील ने कहा था कि चुनावी प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में लगभग 66.23 करोड़ आधार नंबर पहले ही अपलोड किए जा चुके हैं।
इस पर अदालत ने तब याचिका का निपटारा कर दिया था, जिसमें फॉर्म 6 (नए मतदाताओं के लिए आवेदन पत्र) और फॉर्म 6बी (मतदाता सूची प्रमाणीकरण के प्रयोजन के लिए आधार संख्या की जानकारी का पत्र) के साथ आधार विवरण प्रस्तुत करने की आवश्यकता की वैधता पर सवाल उठाया गया था।
केंद्र सरकार ने जून 2022 में आधार संख्या को मतदाता सूची के आंकड़े के साथ जोड़ने की अनुमति देने के लिए मतदाता पंजीकरण (संशोधन) नियम 2022 को अधिसूचित किया था।
अधिसूचनाएं चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम 2021 के तहत जारी की गईं, जिसे दिसंबर 2021 में संसद द्वारा पारित किया गया था।