नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर वह जनहित याचिका खारिज कर दी जिसमें चार वर्षीय एलएलबी कोर्स की संभावना पर विचार के लिए ‘विधिक शिक्षा आयोग’ के गठन की मांग की गई थी।
अकादमिक पाठ्यक्रम तय करने के शैक्षणिक संगठनों के अधिकार को उचित ठहराते हुए अदालत ने कहा कि वह पाठ्यक्रम तैयार करने में दखलअंदाजी नहीं करती।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी.एस. अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा, “हमने 12वीं के बाद छह साल की शिक्षा व्यवस्था में पढ़ाई की है। आप उसे बदलने की मांग कर रहे हैं। यह हमारा कार्यक्षेत्र नहीं है। हम पाठ्यक्रम तैयार नहीं करते।”
खंडपीठ ने यह भी कहा कि न्यायपालिका शिक्षा नीतियों को तय करने के लिए आदेश नहीं देती है। पाठ्यक्रम की अवधि और उसके ढांचे के बारे में फैसले शैक्षणिक प्राधिकरणों के दायरे में आते हैं।
उपाध्याय के कम अवधि के एलएलबी पाठ्यक्रमों के ऐतिहासिक उद्धरणों और प्रसिद्ध न्यायविदों के ऐतिहासिक उद्धरणों के तर्क पर खंडपीठ ने व्यक्ति के करियर में सतत शिक्षा और स्वयं-संवर्द्धन की जरूरत पर जोर दिया।
अदालत ने जनहित याचिका में अध्ययन की कमी पर असंतोष व्यक्त किया। उसने विधिक शिक्षा की गतिमान प्रकृति की ओर इशारा किया।
अदालत ने याचिका खारिज करते हुए उपाध्याय को उचित मंच पर अपनी बात रखने के लिए की सलाह दी।
इसके बाद उपाध्याय ने याचिका वापस ले ली।