गाजियाबाद। श्री पंच दशनाम जूना अखाडा जपेश्वर महादेव आचार्य मठ वैजनत्था में ब्रहमलीन श्रीमहंत मच्छन्दर पुरी महाराज गोहाना हरियाणा का समष्टि भंडारा हुआ। भंडारे का आयोजन महंत रमन पुरी महाराज ने जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज की अध्यक्षता-निर्देशानुसार व श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के वरिष्ठ अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज व श्रीमहंत उमाशंकर भारती महाराज तथा अध्यक्ष श्रीमहंत मोहन भारती महाराज की देखरेख में हुआ। व्यवस्थाओं का निरीक्षण श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर व श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने किया। भंडारे में चारों मणि रमता पंच आदि के साधु-संतों समेत देश भर से आए 20 हजार से अधिक साधु-संत शामिल हुए।
सहारनपुर में योगी ने लगायी मां शाकुम्भरी के दरबार में हाजिरी, भूरा देव मंदिर में भी की आरती
सभी ने ब्रहमलीन श्रीमहंत मच्छन्दर पुरी महाराज, ब्रहमलीन स्वामी लक्ष्मण पुरी महाराज, ब्रहमलीन अष्ट कौशल महंत स्वामी विश्वनाथ पुरी महाराज, ब्रहमलीन श्रीमहंत राजेश्वर पुरी महाराज, बहमलीन बाबा श्रीमहंत देव पुरी महाराज, ब्रहमलीन श्रीमहंत रामेंश्वर पुरी महाराज, ब्रहमलीन बाबा अर्जुन पुरी महाराज, ब्रहमलीन बाबा अभिमन्यु पुरी महाराज, ब्रहमलीन बाबा बिजली पुरी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की। आदि जगद्गुरु शंकराचार्य संस्थान सुमेरूमठ काशी के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती के अलावा श्रीमहंत दर्शन गिरि महाराज, श्रीमहंत सहदेवानंद गिरि महाराज सचिव कर्नाटक, चार मणि के श्रीमहंत शांताराम सरस्वती महाराज, निर्वाण मंत्री व दुर्गा गिरि आश्रम की अध्यक्ष श्रीमहंत साध्वी शैलजानंद गिरि महाराज, थानापति श्रीमहंत आनंद गिरि महाराज, थानापति आंनेदाश्वरानंद गिरि महाराज, श्रीमहंत विजय गिरि महाराज, थानापति धीरज गिरि महाराज, महंत मनोहर पुरी महाराज, दिल्ली संत महामंडल के कोषाध्यक्ष महंत धीरेंद्र पुरी महाराज, महंत गिरिशानंद गिरि महाराज आदि भी मौजूद रहे।
योगी सरकार की नई पहल से सरकारी स्कूल देंगे निजी स्कूलों को टक्कर
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा और श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर के श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि सोमवार को ब्रहमलीन श्रीमहंत मच्छन्दर पुरी महाराज गोहाना हरियाणा के समष्टि भंडारे के साथ ही समष्टि भंडारे का समापन हो गया और इसी के साथ प्रयागराज महाकुंभ के बाद संतों का काशी में 40 दिन का प्रवास भी पूरा हो गया।