Monday, May 19, 2025

‘दीन धर्म की बात जब आए मजहब मेरा इंसानी लिखना, जब भी मेरी कहानी लिखना मुझको हिंदुस्तानी लिखना’

मेरठ। ‘दीन धर्म की बात जब आए मजहब मेरा इंसानी लिखना, जब भी मेरी कहानी लिखना मुझको हिंदुस्तानी लिखना’। ये शेर सूफी गफीर सागर ने नौचंदी में आयोजित एक सूफियाना कार्यक्रम के दौरान पढ़ा। नौचंदी मेले में सूफियानों का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें सूफियों ने अपने कलाम और शेर पढ़े।

सूफ़ी खानकाह एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता सूफी गफीर सागर चिश्ती निजामी, राष्ट्रीय एकीकरण, हिंदू मुस्लिम एकता और भाईचारे को बढ़ाए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी शक्तियों पर अंकुश लगाना सरकार का काम है। उन्होंने कहा हम हिंदुस्तानियों के लिए आपसी भाईचारा और रवादारी, सबसे ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में हर मजहब, धर्म और जातियों के फूल खिलते हैं।

हम हिंदुस्तानी प्रेम के धागे में बंधी हुई एक खूबसूरत माला है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि सद्भाव और राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने वाले कार्य किसी हादसे की वजह से किए जा रहे हैं। बल्कि सदियों से आपसी भाईचारे और प्रेम को बढ़ाने की, हमारे देश की परंपरा रही है। उन्होंने भारत की महान विभूतियों मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम चंद्र जी, योगिराज श्री कृष्ण, महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी इन सभी की मानवता पर आधारित इनके विचारों को, भारत के कोने कोने में पहुंचाने का कार्य किया है। इस दौरान विभिन्न राज्यों से आए सूफियों ने अपने कलाम और शेर पढ़कर महफिल में वाहवाही लूटी।

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