सहारनपुर। सहारनपुर नगर निगम की भूमि जो कब्रिस्तान और मरघट के रूप में नगर निगम के रिकार्ड में दर्ज थी को 1994 में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सचिव के आदेश पर वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर दिया गया था। जिस पर दुकानें बना ली गई थी।
सहारनपुर के कमिश्नर हृषिकेश भास्कर यशोद ने इस मामले की जांच कराई। जांच रिपोर्ट कार्रवाई के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को भेजी गई है जिस पर शासन निर्णय लेगा। कमिश्नर के मुताबिक 1976 में मुख्य सचिव ने वक्फ संपत्तियों के सर्वे कराया था। यह भूमि वक्फ के रूप में जिला स्तरीय सर्वे करने पर वक्फ की नहीं पाई गई थी। लेकिन वक्फ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष ने इस भूमि को 10 मार्च 1987 को वक्फ के रूप में दर्ज करा दिया। लेकिन उसकी अधिसूचना जारी नहीं हुई।
वर्ष 1993 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने इस भूमि को नगर निगम की मानते हुए पार्क और वृक्षारोपण करने के लिए अधिकृत किया था और 2 जून 1994 को वक्फ बोर्ड ने इस भूमि को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कराने के आदेश दिए थे। तत्कालीन एडीएम वित्त ने 19 जुलाई 1994 को इसे वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करा दिया। कमिश्नर की जांच में तत्कालीन जिलाधिकारी समेत कई अफसरों की भूमिका संदिग्ध पाई गई।
पूरे मामले पर विचार एवं कार्रवाई के लिए कमिश्नर हृषिकेश भास्कर यशोद ने प्रदेश के मुख्य सचिव को रिपोर्ट प्रेषित की है। अब देखना होगा कि उत्तर प्रदेश शासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है।