Monday, December 23, 2024

अनमोल वचन

प्रत्येक विजयदशमी पर रावण का वध करके उसका पुतला जलाया जाता है। सदियों से यह परम्परा चल रही है। वह एक रावण तो त्रेता युग में लगभग दस लाख वर्ष पहले हुआ, परन्तु कलियुग में तो रावण घर-घर में पैदा हो रहे हैं।

आज के रावणों में त्रेता का रावण हजारों गुणा चरित्रवान था, तभी तो उसने सीता माता को स्पर्ष तक नहीं किया, माता सीता का वनवास का व्रत भंग न हो, इसलिए महल के स्थान पर वाटिका में रखा। उस रावण में तो दोष केवल अहंकार का था, परन्तु आज के रावणों में दोष ही दोष भरे पड़े हैं। कलियुगी रावणों में चरित्रहीनता हावी है, तभी तो महिलाओं और छोटी-छोटी कन्याओं की अस्मत चौराहों, बसों और कारों तक में लूटी जा रही है। नारी की लाज पर प्रहार करके उन्हें नंगा किया जा रहा है।

इन कलियुगी रावणों ने तो राष्ट्र की पूंजी के बड़े भाग को अनैतिक मार्ग से हड़प कर लिया है। टैक्स न देने के अनेक मार्ग बना लिये हैं। क्या नेता, क्या अभिनेता, शीर्ष अधिकार, कर्मचारी, उद्योगपति भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे तक व्याप्त है।

बुराई केवल धन के लेन-देन से ही नहीं, बल्कि विचार दूषित हो गये हैं, लोगों के नैतिक और राष्ट्रीय चरित्र का पतन हो गया है। वध तो इन कलियुगी रावणों का होना चाहिए। भारत माता आज के रावणों से मुक्ति चाहती है। इसका एकमात्र उपाय है- भगवान श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात किया जाये। जब तक ऐसा नहीं होगा, ये कलियुगी रावण समाप्त नहीं होंगे।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,303FansLike
5,477FollowersFollow
135,704SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय