आज महान गुरू नानक देव जी का अवतरण दिवस है। हिन्दुओं और सिक्खों का अपने पूज्य गुरू का यह दिवस मनाने का प्रयोजन तभी सिद्ध होगा, जब हम उस महान गुरू के उपदेशों को अपने जीवन में उतारें और उन पर आचरण करें।
उन्होंने अपने जीवन भर सेवा विनम्रता और क्षमा का पाठ पढ़ाया। विनम्रता का उन्होंने स्वयं पालन किया और संगत को यही सिखाया। यदि हम सेवा, विनम्रता और क्षमा को जीवन में उतार लेंगे तो फिर जीवन में आनन्द ही आनन्द है।
उन्होंने कहा कि हमें व्यर्थ की चिंताओं से भी बचना चाहिए, क्योंकि चिंताओं से मुक्त रहने वाला व्यक्ति ही जीवन में सद्बुद्धि पाकर सदा सफलता की राह पर बढ़ता जाता है। उन्होंने मानवता की सेवा को ही जीवन का उद्देश्य बनाया। उन्होंने कहा कि जीवन में प्रेम के साथ बिना किसी ऊंच-नीच के, बिना किसी भेदभाव के सबको भोजन खिलाना बहुत बडी सेवा और बहुत बड़ा पुण्य है।
उन्होंने यह भी कहा कि इंसान जब मुंह में निवाला डाले तो उस प्रभु का स्मरण कर उसका धन्यवाद करें, क्योंकि उसी प्रभु की कृपा दृष्टि से उसे यह भोजन प्राप्त हो रहा है। आज के पवित्र दिन संकल्प कर उस महान गुरू के उपदेशों का अनुसरण करते हुए आज से ही मानवता की सेवा में स्वयं को अर्पित करें और अपने जीवन को धन्य करें।