Saturday, January 18, 2025

अनमोल वचन

यह सच्चाई है और वास्तविकता भी कि संसार में सबसे बड़ा दुख दरिद्रता है, परन्तु इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं कि सम्पन्नता और अमीरी सबसे बड़ा सुख है। यदि ऐसा होता तो संसार के सभी सम्पन्न लोग सुखी और भगवान के भी अधिक निकट होते, परन्तु ऐसा है नहीं। वहीं, सम्पन्न व्यक्ति सुख का अनुभव कर सकता है, जो दूसरों के कल्याण और कष्ट निवारण के उपाय सोचता है, साथ ही मानवता की सेवा में लगे व्यक्तियों की सहायता को उद्यत रहता है।

मनुष्य का कर्त्तव्य है कि वह किसी भी प्राणी को पीड़ा न पहुंचाये। जो बन सके अपने तन से दूसरों की सहायता करे, वह व्यक्ति दरिद्रता में भी स्वयं को सुखी मानता है, जो दूसरों की पीड़ा में धन से न सही मन और तन से उनकी सहायता करता है।

धर्म का आदेश है सबसे प्रेम करो, सबको एक भाव से गले लगाओ। किसी को भी हीन समझकर उनकी उपेक्षा करना, उनका अपमान करना, किसी को अस्पर्शय समझना और स्वयं को ऊंचा मानना, श्रेष्ठ मानना, स्वयं को पवित्र-पाक तथा दूसरों को हेय, अपवित्र और नापाक समझना धर्म और मानवता के विरूद्ध है, परमपिता परमात्मा के यहां इस प्रकार की निम्न सोच वालों को कोई स्थान भी प्राप्त नहीं होता।

हम सब उस एक प्रभु की संतान हैं, न कोई नीचा है न कोई ऊंचा है। प्रभु की दृष्टि में सभी समान है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,735FansLike
5,484FollowersFollow
140,071SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय

error: Content is protected !!