Sunday, January 26, 2025

अनमोल वचन

जीवत जीवी अर्थात जो मनुष्य जीने की कला जानते हैं वे अपने बुद्धि चार्तुय तथा पुरूषार्थ से अपने जीवन का निर्माण करके सफलता, सौभाग्य और आनन्द प्राप्त करते हैं, जबकि मृत जीवी मनुष्य जीवन भर दुर्भाग्य दुर्दैव और परिस्थितियों का सदा ही रोना रोते रहते हैं।

जीवन बनाने वाले अपना जीवन बना ही लेते हैं। साधनों का अभाव रहते भी अपने जीवन का सुनिर्माण सुनिश्चित कर लेते हैं। उदासीन, निराशावादी, आलसी, प्रमादी व्यक्ति साधन सम्पन्न होते हुए भी जीवन की दौड़ में पिछड़ जाते हैं।

हे आलसी मानव अपने सोये हुए आत्म ओज को जगा। जो मनुष्य जीवन जीने की कला में पारंगत हैं ऐसे जीवत जीवियों से प्रेरणा लेकर कुछ करने का संकल्प लो।

जीवित की भांति जीना सीखो, जीवन वान बनकर जीयो। जैसे-तैसे घिसट-घिसट कर जीना भी कोई जीना है। जीवन वान वह है, जो मृतों में जीवन का संचार कर देता है, निर्जीवों में जीवन फूंक देता है।

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