Friday, March 14, 2025

अनमोल वचन

मानव देह अनेक पुण्यों के सहयोग से प्राप्त होती है। हम इसे शुभ भावों एवं शुभ कर्मों के आलोक से प्रकाशवान बनाये। प्रत्येक क्षण को परोपकार में लगाकर सार्थक करे। व्यवसायिक क्रियाकलापों के मध्य भी जन कल्याण की भावना बनाये रखे।

अधिक मुनाफाखोरी तथा दूसरों के शोषण की भावना तो किंचित भी मन में नहीं होनी चाहिए। कहने-सुनने मात्र से नहीं, बल्कि आचरण करने से ही अभीष्ट फल की प्राप्ति सम्भव हो पायेगी।

मनुष्य गलतियों का पुतला है। कम या अधिक कमियां सभी में हैं, मुझमें भी है और आप में भी है। संत और महात्मा भी इससे अछूते नहीं है। कोई व्यक्ति पूर्ण नहीं, पूर्ण तो केवल परमात्मा है। दूसरों को गलती करते देखकर उन पर क्रोध करने वाला भी तो गलती कर रहा होता है।

गलती करने वाले को शांत मन से सुधार की भावना से उसकी गलती का अहसास तो अवश्य कराये, किन्तु उसके पीछे नीचा दिखाने की मानसिकता नहीं होनी चाहिए। परामर्श की अपेक्षा रखने वाले को जो सत्परामर्श नहीं देता वह पापी है, जो भटके हुए को जानते हुए भी सही मार्ग नहीं दिखाता वह भी तो भटका हुआ ही है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,854FansLike
5,486FollowersFollow
143,143SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय