Wednesday, January 29, 2025

नारी त्याग, दया, करुणा, ममता और धैर्य की प्रतिमूर्ति

महिलाएं हमारे समाज का गौरव हैं। अगर नारी शक्ति न हो तो समाज का विकास संभव नहीं है। साथ ही पुरुष को तो सदैव नारी का सम्मान ही करना चाहिए। सर्वप्रथम यह जरूरी है कि नारी स्वयं नारी का सम्मान करे। घर में सबसे पहले नारी को मां व बेटी के रूप में स्थान प्रदान करे न कि ननद व सास समझे।

अगर नारी ही नारी का सम्मान करेगी तो समाज तरक्की के मार्ग पर चलता रहेगा। आज विश्व में महिला किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है। नारी कभी भी दया की पात्र नहीं है। हमारे देश में नारी पहले से ही सशक्त है। समझाना तो उनको है जो महिलाओं का सम्मान नहीं करते, उन्हें पिछड़ा मानते हैं। इसलिए सबसे बड़ी आवश्यकता है उन लोगों की मानसिकता में सुधार लाने की, जो महिलाओं को दया का पात्र समझते हैं। इस जमाने में महिलाएं अब अबला की मिथक भ्रांतियों को छोड़कर घर से बाहर निकल रही हैं और पुरुष प्रधान देश में कंधे से कंधा मिलाकर उन्नति के शिखर की ओर अग्रसर हो रही हैं। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, कल्पना चावला, मदर टेरेसा, इंदिरा गांधी जैसी विभूति महिलाओं द्वारा किये गये कार्य सराहनीय हैं, जिनकी जीवनियां पाठ्यक्रमों में पढ़ाई जानी चाहिए।

भारतीय संस्कृति में तो नारी को माता का पद दिया गया है। नारी के गुणगान से इतिहास के पन्ने भरे पड़े हैं। भारतीय समाज में नारी को त्याग, दया, करुणा, ममता और धैर्य की प्रतिमूर्ति कहा जाता है। इतिहास गवाह है कि भारतीय नारी पुरुष को प्रतिष्ठा और उपलब्धि के सर्वोच्च शिखर पर आरुढ़ करने के लिए स्वयं को भी दांव पर लगा दिया करती है।
समाज के विकास में महिलाओं की भूमिका अत्यन्त ही महत्वपूर्ण होती है।

समाज में स्थिरता, मजबूती एवं सामंजस्य का होना मुख्यत: महिलाओं पर ही निर्भर करता है। महिलाएं समाज का एक सशक्त आधार हैं। अच्छी शिक्षा के माध्यम से ही एक बालिका अच्छे समाज का निर्माण कर सकती है। वर्तमान में हर क्षेत्र में महिलाओं का स्तर ऊंचा है। महिलाएं राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, पारिवारिक, साहित्यिक अर्थात् हर क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे रही  है ।

वर्तमान समय में महिलाओं ने अपनी प्रतिभा के दम पर स्वयं को सिद्ध करते हुए हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है परन्तु अब भी समाज को महिलाओं के प्रति अपना नजरिया और धारणाओं को बदलने की आवश्यकता है। आज बेटी हर क्षेत्र में बेटों से आगे है। परन्तु फिर भी कन्या भ्रूण हत्या जैसी घटनाएं जो घटित हो रही है वे हमें यह बताती हैं कि हमें अपनी मानसिकता और सोच को बदलने के लिए इस क्षेत्र में और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है।

हर घर में अल-सुबह से लेकर देर रात तक महिलाएं हर क्षेत्र में चाहे वो घर हो या कार्यक्षेत्र व्यस्त रहती हैं। हर मोर्चे पर पूर्ण समर्पण भावना से अपने कर्तव्य के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं बिना नारी के कोई भी कार्य पूर्ण नहीं है। शास्त्रों में तो यहां तक कहा गया है कि जहां नारी का मान-सम्मान और निवास होता है वहां देवता भी रमन करते हैं।

आज नारी पर जो अत्याचार हो रहे हैं वह न केवल निंदनीय ही है अपितु दोषी को मृत्युदण्ड भी दिया जाये तो शायद वह कम है। महिलाओं के सम्मान एवं उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हर भारतीय नागरिक का कर्तव्य है। नारी का हर रूप वंदनीय एवं महिमामय है। किसी देश व समाज की उन्नति व अवनति वहां के नारी समाज पर अवलम्बित है।
सुनील कुमार माथुर – विभूति फीचर्स

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,854FansLike
5,486FollowersFollow
142,970SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय

error: Content is protected !!