शिव सत्य है, शिव ही सुन्दर है, शिव ही कल्याण करने वाला है, किन्तु पापियों के लिए वह रूद्र है। इसलिए वह सृष्टि उत्पत्ति के आदि स्रोत, उसके संचालक तो हैं ही, संहारक भी हैं। शिव पूर्ण विश्वास है और विश्वास ही जीवन है। शिव शक्ति का प्रतीक है, शिव शक्ति से ही सृष्टि का निर्माण होता है तथा उसके संहार तक उसकी कृपा सदैव बरसती रहती है। उसकी शक्ति ही जीवन का आधार है और प्राण रक्षक भी है, शिव लय और प्रलय दोनों को अपने वश में किये हुए हैं। उसकी कृपा हुई तो हम भी शिव हो सकते हैं, किन्तु उसका रौद्र रूप हमें शव बना देता है। जो टूट जाता है वह श्वास है, जो कभी न टूटे वह विश्वास है, क्योंकि विश्वास आत्मा के भीतर होता है और आत्मा अमर है। यह विश्वास की डोर ही आदमी को शिव तक पहुंचा सकती है, शिवमय बना सकती है, महाशिवरात्रि पर शिव के प्रति ये अन्तर भाव प्रकट करने को हृदय आहलादित है।