सबकी मृत्यु होती है, परन्तु मृत्यु की मृत्यु नहीं होती और सब तो मरने के लिए जीवित है, किन्तु मृत्यु सबको मारने के लिए जीवित है। आशा और विश्वास सभी गलत नहीं होते, परन्तु देखना यह चाहिए कि किससे आशा की और किस पर विश्वास किया।
सीढिय़ा तो वहीं होती है और वहीं रहती है, लेकिन किसी को ऊपर ले जाती है और किसी को नीचे लाती है। प्रत्येक दिन प्रत्येक के लिए अच्छा नहीं हो सकता, परन्तु हर दिन कुछ न कुछ अच्छा होता ही है। शब्द तब तक आपके गुलाम है, जब तक वे आपके मुख में हैं, मुख से निकलने के बाद आप उनके गुलाम हो जाते हैं।
जो समाज धन को मान्यता दे देता है वह सभी प्रकार के पाप और अपराध को मान्यता दे देता है। जब धन को प्रतिष्ठा मिलेगी तो यह विचार गौण हो जाता है कि धन किन साधनों से अर्जित किया गया है। जीवन सुख-दुख, आशा-निराशा, शान्ति-अशान्ति, हंसी-शोक, खुशी-गमी के मध्य अविरल गति से चलने वाली प्रक्रिया का नाम है।
इसलिए प्रत्येक परिस्थिति में स्वयं को सामान्य रखने का प्रयास करे। कमाई की निश्चित परिभाषा केवल धन से ही नहीं मापी जा सकती, अनुभव, रिश्ते, मान-सम्मान और सबक भी सब कमाई के ही स्वरूप हैं।