Friday, November 22, 2024

अनमोल वचन

वेद में प्रकाशित प्रत्येक मंत्र में शक्ति है। किसी भी एक मंत्र को पकड़ लो जीवन पर्यन्त उसका जाप करो। जाप का अर्थ मात्र यह नहीं कि रट्टू पीर की भांति उसे बार-बार बोलते जाये, माला, दो माला दस माला। पहले उसका भाव समझो फिर उसके एक-एक शब्द के अनुसार अपने जीवन में अपने आचरण में उतारने का अभ्यास करो अर्थात आपका जीवन उसके अनुरूप हो।

यदि आप मुख से जाप करते रहो और मन संसार में लगा रहे, अपने परिवार में, अपने व्यवसाय में और मंत्र की भावना से आपका कुछ लेना-देना न हो तो ऐसा जप जाप व्यर्थ है। ऐसा करने से कुछ लाभ नहीं होता, जब लाभ नहीं होता तो दूसरा मंत्र पकड़ते हैं फिर उसकी परिणिति भी यही होती है फिर तीसरा मंत्र जाप करने से भी कुछ लाभ नहीं होता तो अन्य मंत्र का जाप आरम्भ कर देते हैं।

कारण यह है कि हम मात्र जाप से ही सब कुछ पाना चाहते हैं। उपलब्धियां न होने पर निराश होते हैं। हमें यह ज्ञान होना चाहिए कि ईश्वर हमारे शब्दों से प्रभावित नहीं होगा। वह हमारी भावनाओं तथा हमारा आचरण देखकर ही अपनी कृपाओं की वर्षा करेंगे।

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