सोचते सभी हैं, चाहे अच्छा सोचें या बुरा सोचें, छोटा सोचें या बड़ा सोचें। जीवन में आगे बढ़ने के लिए बड़ी सोच जरूरी है, इसलिए यदि आप सोच ही रहे हैं तो क्यों न बड़ा सोचें, आपको बस एक संकल्प लेना है कि आपको भव्य विचार रखने हैं।
जहां जीवन है, वहां भली-बुरी दोनों प्रकार की घटनाओं का घटित होना लगा ही रहता है। रात और दिन की भांति सुख-दुख के क्रम को रोका नहीं जा सकता। यदि व्यक्ति अनुकूलताओं की ओर ध्यान दे तो उसे अनुभव होगा कि कुछ एक वस्तुओं का अभाव होने पर भी जितना कुछ उपलब्ध है, वह कम नहीं है। विश्व में ऐसे असंख्य व्यक्ति हैं, जिन्हें इतना भी उपलब्ध नहीं है, जितना मेरे पास है फिर क्यों मुंह लटकाये फिर रहा हूं।
व्यक्ति का ध्यान जब अपनी प्रतिकूलताओं और अभावों पर ही टिका रहता है, तब वह जिधर देखेगा, उधर अभाव ही दिखाई देगा। इससे लाभ वाली स्थिति का निर्माण नहीं हो सकता। ऐसे में चित्त खिन्नता का अनुभव करेगा और निराशा ही हाथ लगेगी।
अपने स्वभाव में, अपनी सोच में परिवर्तन करने की आवश्यकता है। जीवन के उजले पक्ष को देखें, उससे प्रेरणा लें तो जीवन में बहुत कुछ पाया जा सकता है।