संसार में ऐसा कोई कार्य नहीं जिसे मनुष्य न कर सके, बस मन मस्तिष्क में कार्य के प्रति लगन होनी चाहिए। यही वह चुनौतीपूर्ण चिंतन है जो आपको जीवन में कुछ अनूठा एवं सार्थक करने की प्रेरणा देता है। आप ब्रह्मांड में इच्छा का बीज बोयेंगे तो पूरा ब्रह्मांड आपको आपकी वह वस्तु दिलाने के लिए जुट जायेगा। बस अपने आपको परिपक्व बनाये और प्रतिकूल परिणामों के बारे में आशंकित न हो। आशावान बने निराशावादी नहीं। संकट के समय स्वयं के मार्गदर्शक बने और दूसरों को भी प्रेरणा दें। हमें वह परिवर्तन स्वयं में करना चाहिए, जिसे हम संसार में देखना चाहते हैं। आवश्यकता है हम दर्पण जैसा जीवन जीना सीखे। उन सभी खिड़कियों को बंद कर दें, जिनसे आने वाली दूषित हवा मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देती। जीवन की समझ होना बहुत जरूरी है। उसके साथ चरित्र और माध्यम (साधन) की पवित्रता भी उतनी ही जरूरी है, परन्तु कुछ महान करने के चक्कर में कुछ नहीं कर पाते। हम दूसरों के किये में कमियां निकालने में ही लगे रहते हैं। हम पूर्णता की चाह में अटके रहते हैं और दूसरे आगे बढ़ते जाते हैं। स्मरण रहे कि जीवन महान चीजों से नहीं छोटी-छोटी चीजों से बनता है।