Monday, December 23, 2024

अनमोल वचन

जब किसी को यह परामर्श दिया जाता है कि अपने सांसारिक उत्तरदायित्वों को पूरा करते हुए प्रभु स्मरण करते रहो ताकि जहां तक सम्भव हो पाप कर्मों से बचे रहोगे, किन्तु आदमी बहाने बनाने में बड़ा चतुर है।

उसका कथन है कि सब दायित्वों को पूरा करने के पश्चात प्रभु स्मरण का पर्याप्त समय मिलेगा, जबकि सच यह है कि क्या पता उस समय तक रह भी पाओगे? क्योंकि जीवन मृत्यु मनुष्य के हाथ में नहीं। यदि उस अवस्था तक जीवित भी रहे तो उस समय उठना-बैठना भी कठिन हो जायेगा फिर साधना कैसे करोगे।

जब नेत्रों से देखने की शक्ति समाप्त हो जायेगी, तो सतशास्त्रों का पाठ कैसे करोगे? जब कानों से सुनने की शक्ति समाप्त हो जायेगी तो तत्व ज्ञान तथा प्रभु चर्चा का श्रवण कैसे करोगे? जब पैर थक जायेंगे तो फिर मंदिर अथवा संतों के सत्संग स्थलों में चलकर कैसे जाओगे? जब तुम्हारा धन से अधिकार समाप्त हो जायेगा और तिजोरी की चाबियां तुम्हारे हाथ से पुत्रादि के हाथ में चली जायेगी फिर पुण्य दान कैसे करोगे ?

जब सब प्रकार से स्वयं ही पराधीन हो जाओगे तो दीन-दुखियों और संत-महात्माओं की सेवा कैसे करोगे? इसलिए शुभ कार्य और प्रभु स्मरण आज से और अभी से आरम्भ कर दें। करना है सो आज कर कल पर न टाल, क्या जाने कल क्या बने सिर पर काल कराल।

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