Wednesday, February 12, 2025

अनमोल वचन

छह चीजें विधि के हाथ में हैं, परमात्मा के अधीन है। इन पर किसी का वश चलता ही नहीं, जीवन-मरण, हानि-लाभ और यश-अपयश। आयु, कर्म, धन, विद्या, मरण ये पांच बाते जब जीव गर्भ में रहता है, तब ही लिख दी जाती है। इस व्यवस्था के अनुसार आयु की अवधि तथा मृत्यु का समय जब निश्चित है तो उस पर हमारा वश कहां। जिसको किसी से स्नेह होता है, ममत्व होता है, उसे ही उसकी मृत्यु पर दुख होता है, किन्तु जब किसी वस्तु के रहने अथवा न रहने पर हमारा वश नहीं तो फिर शोक करने से लाभ क्या है। जैसे एक वृक्ष पर रात्रि के समय नाना प्रकार के पक्षिओं का निवास हो जाता है। प्रभात होने पर रात्रि में एकत्र हुए पक्षी दसो दिशाओं में उड़ जाते हैं। इस क्षणिक संयोग और वियोग में शोक किसलिए। बिल्कुल यही दशा परिवार में इकट्ठे हुए प्राणियों की होती है। कोई आता है कोई जाता है। आप कितना भी विलाप करें, कितना भी शोक करे, जाने वाला तो अपने निश्चित समय पर जायेगा ही उसे रोक पाना जब आपके वश में है ही नहीं तो फिर इस बेबस बात में विलाप करना व्यर्थ है।

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