खुशी क्या है? यदि इसकी पड़ताल करे तो प्रत्येक स्तर पर खुशी के रूप नजर आने लगेंगे। एक व्यापारी के लिए उसका सम्पन्न व्यापार खुशी हो सकता है, एक विद्यार्थी के लिए उत्तम प्राप्तांक प्रसन्नता हो सकती है, एक कृषक के लिए फसल का अधिक उत्पादन और उसके सही मूल्य की प्राप्ति खुशी हो सकती है। सबकी खुशी के अलग-अलग पैमाने हैं। क्या यही खुशी है? जीवन में कर्म प्रधानता ही सफलता का मूल आधार है। कर्म में जब परिश्रम और उचित मार्ग के अनुसरण का मिश्रण हो जाता है तो मनोवांछित परिणाम खुशी के रूप में सामने आते हैं। इसी खुशी को वास्तविक खुशी मानकर इसी के पीछे दिन-रात बैचेन रहने लगते हैं। आजीविका के लिए प्रत्येक व्यक्ति को कर्म को महत्व देना ही होगा, परन्तु इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भविष्य के परिणामों की चिंता वर्तमान की खुशी को न छीन लें। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि कर्म पर ध्यान दे, उसके फल की चिंता न करे, क्योंकि फल तुम्हारे आधीन नहीं है, परन्तु अब फल की चिंता पहले सताती है और उसके लिए ही कर्म किया जाता है। इस भौतिक युग में मानयताएं बदल गई हैं।