Wednesday, January 22, 2025

अनमोल वचन

भारत अनादिकाल से संस्कारों की खान रहा है। यहां की मिट्टी में प्रभु प्रदत्त संस्कारों की ऐसी अदृश्य शक्ति समाई हुई है कि मानव में जन्म से ही संस्कारों की प्रतिभा समाहित हो जाती है, परन्तु आज के परिवेश में पाश्चात्य संस्कृति का प्रभुत्तव बढ़ रहा है, जिसके फलस्वरूप आज की पीढ़ी अपने मूल संस्कारों को भूल बड़े बुजुर्गों का सम्मान करने के स्थान पर अनादर करने पर उतारू हो जाती है। बड़े बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी का निर्वहन नई पीढ़ी नहीं करेगी, तो क्या उनकी देखभाल करने के लिए इन्द्रलोक से सेवादार आयेंगे? भारत की मिट्टी के मूल संस्कारों की रक्षा करने का दायित्व निश्चित रूप से आज की युवा पीढ़ी पर है। इसका उन्हें पुण्य भी मिलता है। जब कोई तुम्हारा बुजुर्ग तुम्हारे झुके सिर पर अपनी उंगलियां फिरा दे तो समझो खुशी, वरदान और आशीर्वाद तुम्हें यूं ही मिल गया, क्योंकि बड़े बुजुर्गों में ईश्वर का एक रूप समाहित होता है। आज कई परिवार टूट रहे हैं, वृद्धाश्रमों में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने अपनी जवानी अपनी संतानों के पालन पोषण हेतु अपनी इच्छाओं का गला घोंटते हुए समाप्त कर दी और जब उन्हें सेवा की जरूरत है, तब उन्हीं संतानों ने मुंह मोड़ लिया। नई पीढ़ी यह भूल रही है कि उनके बुजुर्गों के वर्तमान में ही उनका भविष्य छिपा है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,735FansLike
5,484FollowersFollow
140,071SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय

error: Content is protected !!