Sunday, April 27, 2025

अनमोल वचन

जीवन के नाम पर हम सौ वर्ष पर्यन्त जीते रहे, परन्तु हमारी आयु का वही भाग सार्थक है, जो हमने अपने लौकिक कर्तव्यों का पालन करते हुए परोपकार जरूरतमंदों की सेवा तथा प्रभु भक्ति में व्यतीत किया। यदि हम किसी के काम नहीं आये, रोते को हंसा न सके, भूखे की भूख न मिटा सके तो ऐसा जीवन व्यर्थ ही है। हम चाहे कितने भी बड़े धनपति हो यदि हमारा धन किसी पुण्य कार्य में नहीं लगा। किसी अभावग्रस्त में भाव पैदा नहीं कर सका तो ऐसे धन का क्या लाभ। सेवा और परोपकार में लगा धन और श्रम ही असली पूंजी है, हमारी सावधि जमा है। गणना में सन्तान चाहे जितनी हो यदि पुत्र-पुत्रियां संस्कारित नहीं, माता-पिता तथा गुरूजनों की सद्आज्ञाओं का पालन नहीं करती तो ऐसी सन्तान का न होना ही अच्छा है। ऐसे व्यक्ति का जीवन निरर्थक है, जो परमार्थी नहीं स्वार्थी हो।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

80,337FansLike
5,552FollowersFollow
151,200SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय