Saturday, May 10, 2025

अनमोल वचन

मानव में बहुत सी दुर्बलताएं होती हैं। कुछ परिस्थिति जन्म और कुछ अपने स्वभाव के अनुसार वह राग द्वेष, ईर्ष्या तथा दूसरों से प्रतिस्पर्धा के कारण शुभ-अशुभ का विस्तार किये बिना उद्वेगों से पीडि़त रहता है।

 

 

फलस्वरूप वह परमात्मा द्वारा दिये हुए वरदानों का सुख नहीं भोग पाता। कुछ थोड़ा और, कुछ थोड़ा और के चक्कर में वह अपना चैन गंवा देता है। उन्हीं की पूर्ति में शुभ-अशुभ और अच्छे बुरे के भेद को भूल जाता है। जो दूसरों की उन्नति और दूसरों के वैभव से जलता नहीं, जिसे अपनी स्थिति से संतोष है, जिसमें सहनशीलता जैसा महान गुण है वह सदा सुखी रहता है।

 

 

अच्छे कर्म करने से ही मन को शान्ति मिलती है, जो प्रभु के चरणों में अर्पित हो गया, उसके नाम के हिलोरे लेकर जो जीता है वह आकाश की ऊंचाईयों को छू सकता है। सत्कर्म ही भगवान की सबसे बड़ी पूजा है। सत्कर्म ही सुखी जीवन का आधार है।

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