आज मोक्षदा एकादशी है। इस दिवस पर मानवता को नई दिशा देने वाली गीता का उपदेश जो अर्जुन को भगवान कृष्ण द्वारा दिया गया था वह मानवता को कल्याण का मार्ग दिखाने वाला है। भगवत गीता के पठन-पाठन, श्रवण एवं मनन चिंतन से जीवन में श्रेष्ठता के भाव आते हैं।
गीता केवल लाल कपड़े में बांधकर घर में रखने के लिए नहीं, बल्कि उसे पढ़कर संदेशों को आत्मसात करने के लिए है। गीता का ज्ञान अज्ञानता के आवरण को हटाकर आत्म ज्ञान की ओर प्रवृत करता है, गीता भगवान की श्वास और भक्तों का विश्वास है। गीता ज्ञान का अद्भुत भंडार है। हम सब हर कार्य में तुरन्त परिणाम चाहते हैं, परन्तु भगवान ने कहा कि धैर्य के बिना अज्ञान, दुख, मोह, क्रोध, काम और लोभ से निवृत्ति नहीं मिलेगी।
मंगल मय जीवन का ग्रंथ है गीता। जिसके जीवन में गीता का ज्ञान नहीं वह पशुओं से भी बदतर होता है। भक्ति बचपन से ही शुरू होनी चाहिए अंतिम समय में तो भगवान का नाम लेना भी कठिन हो जाता है। दुर्लभ मनुष्य जीवन हमें केवल भोग विलास के लिए नहीं मिला, इसका कुछ अंश भक्ति और सेवा में भी लगाना चाहिए। आध्यात्म और धर्म का आधार सत्य, दया और प्रेम है, जो प्रत्येक समय स्मरणीय है।