जिसने अपना पता लगा लिया, उसके सब कष्ट दूर हो जाते हैं। ऐसा व्यक्ति अपनी शक्ति और सीमाओं के अतिरिक्त दूसरों को पहचानने में भी सक्षम हो जाता है। महानता ऊंची पदवी, धन-दौलत से नहीं बल्कि सच्चाई नेक नियति और इंसानियत से आती है। यदि हम अपने उत्तरदायित्वों को चाहे वे अपने परिवार के प्रति हो, समाज या देश के प्रति, पूर्ण निष्ठा से निभाते हैं तो अपनी ही नजरों में ऊपर उठ जाते हैं। वास्तव में तो हम सबकी हस्ती आकाश में झिलमिलाते सितारों जैसी है। प्रत्येक मनुष्य एक विशेषता (कोई न कोई विशेषता) सृजनशीलता या गुण लेकर पैदा होता है। अपने गुणों को समाज में बांटने के लिए अमीर होना या उच्च शिक्षित होना आवश्यक नहीं। शेक्सपीयर, इस्वन बर्नाडशा, कबीर, सूरदास और तुलसीदास जैसे महान लोग कभी स्कूल, कॉलेज नहीं गये फिर भी उन्होंने संसार को बहुत कुछ दिया। समय, जीवन के उतार-चढाव और अन्दर की अच्छाईयां इसान को बहुत कुछ सिखा देती है।