इस संसार में असंख्य जीव मनुष्य, पशु, पक्षी, कीड़े, मकोड़े, जंगली एवं समुद्री जीव जन्तुओं के रूप में रहते हैं। कोई छोटा कोई बड़ा, कोई कमजोर, कोई बलवान, कोई बुद्धिमान तो कोई कम बुद्धिवाला। जीवन स्वार्थ और अविद्या के कारण एक-दूसरे को दबाने, शोषण करने तथा एक दूसरे पर आक्रमण करने जैसे जघन्य कार्य भी करते रहते हैं। इसलिए यहां संघर्ष करना और अपनी रक्षा करना सबके लिए अनिवार्य है, जो बुद्धि और विद्या बल में बलवान होता है, वह अपनी रक्षा कर लेता है तथा सुरक्षित रहता है, किन्तु जो विद्या एवं बुद्धिबल में कुछ हीन होते हैं वे पीडित और शोषित रहते हैं और अन्तत: सी दशा में नष्ट हो जाते हैं। यदि आप संसार में ठीक ढंग से जीना चाहते हो तो आपको भी बुद्धि, विद्या, बल के गुणों में वृद्धि करनी होगी, शिक्षित होना होगा। यह ठीक है कुछ सीमा तक दूसरों का अन्याय सहन करना कई बार बाध्यता हो जाती है, परन्तु अन्याय को असीमित मात्रा तक सहन करना कायरता की श्रेणी में आता है। इसलिए जब सहनशक्ति की सीमा पूरी हो जाये तब अन्याय के विरूद्ध डटकर खड़ा होना चाहिए अन्यथा दुष्ट लोग सज्जनों को नष्ट कर देंगे। इसलिए मानवता पर संकट न आये इसके लिए अच्छे लोग संगठित होकर अत्याचारियों का विरोध करें।