किसी भी धर्म में आस्था रखने वाले लोग हो अथवा जो ऐसे भी हो, जिसका किसी धर्म सम्प्रदाय से कोई सम्बन्ध न हो, किन्तु लगभग सही इतना अनुभव करते हैं कि कोई परमशक्ति है, जो इस ब्रह्मांड में धड़क रही है। मन में कामना यह भी रहती है कि हम इस शक्ति से जुड़े, इसका दर्शन करे, हमें ईश्वरीय तत्व का अनुभव हो, जिससे हमें शान्ति प्राप्त हो।
इसके लिए हम प्रार्थना करते हैं। प्रार्थना केवल किसी पदार्थ सुख अथवा किसी उपलब्धि के लिए ही नहीं की जाती, उस परम शक्ति से जुडऩे के लिए भी की जाती हैं, उसकी कृपाओं के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने एवं प्रशंसा भाव से भी की जाती है। प्रार्थना हमारी परिस्थितियां बदले या न बदले हमें अवश्य बदल देगी।
जीवन में विपरीत परिस्थितियां आना नियम है। यह प्रकृति की देन है। यदि दुख नहीं देखा गया तो सुख का मूल्य भी नहीं जानेंगे, जिसने गरीबी नहीं देखी वह धन का मूल्य नहीं समझता। जो धूप में नहीं चला वह छाया का महत्व क्या जाने। आज हम दूसरों के प्रति संवेदनहीन होते चले जा रहे हैं।
यदि स्वयं भुक्त भोगी हो तो इतनी हृदयहीनता और निरंकुशता नजर नहीं आयेगी। विपरीत अवस्था को प्राकृतिक मानकर उसका समता से सामना करेंगे न कि उसमें दुखी होकर द्वेष भाव जगाये। विपरीत परिस्थिति हमें अवसर देती है। हम आपदा में अवसर ढूंढे। हम आत्मबल जगाकर उससे लाभ उठाने का हर सम्भव प्रयास करें।