Sunday, April 28, 2024

वायरल फीवर में घरेलू नुस्खे अधिक उपयोगी

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वायरल बुखार को फ्लू, इंफ्लूएंजा, कामन कोल्ड, हड्डी तोड़ बुखार या साधारण सर्दी के बुखार आदि नामों से जाना जाता है।
इसे छूत की बीमारी माना जाता है क्योंकि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक सांस के माध्यम से पहुंचता है। इस बुखार का रोगी जब खांसता है तो इसके विषाणु पास वाले व्यक्ति के शरीर में सांस व मुंह के ,द्वारा प्रवेश कर जाते हैं। एक दो दिन में व्यक्ति वायरल बुखार से पीडि़त हो जाता है।

सिरदर्द, बदन दर्द के साथ अचानक बुखार आ जाना, गले में खराश, नाक में सुरसुरी उत्पन्न होना, पानी गिरना आदि लक्षण वायरल फीवर के होते हैं। इसके साथ ही कमर दर्द, छींकें बार-बार आना, शरीर का तापमान 101 से 103 डिग्री या अधिक हो जाना भी इस बुखार में दिखाई देता है। यदि समय रहते इस फीवर का उपचार न किया जाए तो इसका असर कान के भीतरी हिस्से से लेकर फेफड़ों तक हो सकता है।

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इस बुखार में अनेक बार सर्दी-खांसी या बलगम वगैरह बिलकुल भी दिखाई नहीं देता। इस तरह के इंफेक्शन में शरीर में एक अजीब तरह की बेचैनी होती है और भूख मर जाती है। यूं तो अधिकतर इंफेक्शन का असर दस से बारह दिनों से अधिक समय तक नहीं रहता किंतु यह फीवर जितने भी दिन रहता है उसी के अंदर सुपर एडेड बैक्टीरियल इंफेक्शंस मध्य कान, साइनस एवं फेफड़े तक को बुरी तरह अपनी चपेट में ले सकता है।

वायरल फीवर के दौरान शारीरिक परिश्रम, संभोग क्रिया आदि को नहीं करना चाहिए। गले में सुप्त अवस्था में निष्क्रिय पड़े रहने वाले वायरस ठंडे वातावरण के संपर्क में आ जाने, फ्रिज का ठंडा पानी पीने, साफ्ट ड्रिंक पीने, आइसक्रीम वगैरह खाने से सक्रिय होकर शरीर के इम्यून सिस्टम को थोड़े समय के लिए ही सही, बुरी तरह प्रभावित कर देते हैं। अधिकांश लोग साल में 4-6 बार वायरल फीवर की चपेट में आ जाते हैं।

वायरल फीवर शरीर को असहाय एवं असमर्थ बना डालता है। अगर समय पर इसका उपचार बचाव न किया जाय तो यह साइनस के रूप में उभरकर कष्टदायक बन सकता है, साथ ही फेफडों को भी हानि पहुचा सकता है, इसलिए वायरल फीवर  का संक्र मण होते ही इससे बचने के त्वरित उपाय करने चाहिए। लापरवाही हानिकारक भी हो सकती है। इसके लिए निम्नांकित उपाय लाभकारी हो सकते हैं।

अगर वायरल फीवर का मौसम चल रहा हो तो सार्वजनिक स्थलों बस-ट्रेन आदि स्थानों पर मुंह व नाक पर मास्क लगा कर जाएं। इससे आप वायरल के इफेक्शन से बचे रहेंगे।
अगर वायरल फीवर की वजह से गले में सूजन हो तो ऐसे हालात में अचार-चटनी नींबू, मिर्च, तली-भुनी चीजें, ठंडा पानी, आइसक्रीम आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

नमक मिले हुए गुनगुने पानी से गरारे करना और भाप लेना इस बीमारी में बहुत ही लाभदायक होता है।
एंटी बायोटिक्स दवाएं तभी ली जानी चाहिए, जब सुपर एडेड बैक्टीरियल इंफेक्शन की स्थिति हो किंतु इन दवाओं का इस्तेमाल बिना चिकित्सकीय परामर्श के नहीं लेना चाहिए। यह हानि भी पहुंचा सकता है।

ऐसे वातावरण के सम्पर्क से बचना चाहिए जहां तेजी से तापमान बदलता हो क्योंकि एकाएक ठंड या गर्मी के संपर्क में आने का बेहद बुरा प्रभाव शरीर पर पड़ सकता है।
वायरल इंफेक्शन में चिकित्सक सिर्फ दर्द से आराम के लिए ही औषधि देते हैं। इंफेक्शन की स्थिति में
एंटीबायोटिक केवल इसलिए दिया जाता है ताकि आगे चलकर बैक्टीरियल इंफेक्शन न हो जाए। अत: जब तक वायरल इंफेक्शन की स्थिति में कोई गंभीर समस्या जैसे कि लगातार बढ़ता बुखार, बढ़ती हुई खांसी आदि उत्पन्न न हो, तब तक एंटीबायोटिक लेने की आवश्यकता नहीं होती।

वायरल इंफेक्शन में एंटीबायोटिक दवा लेने की अपेक्षा घरेलू उपचार व नुस्खे अधिक कारगर साबित होते हैं जैसे गरम चाय, सूप, तुलसी की चाय, अदरक वाली चाय पीना, गरम पानी में शहद मिलाकर धीरे-धीरे पीने से गले की खराश में आराम मिलता है।
सिर दर्द व बदन दर्द की वजह से होने वाले बुखार और बेचैनी से छुटकारा पाने के लिए सुरक्षित किस्म की एंटी पायरेटिक एनालजेसिक ड्रग पैरासेटामोल का ही सेवन करना चाहिए।

वायरल इंफेक्शन के दौरान धूम्रपान, शराब आदि का व्यवहार भूलकर भी नहीं करना चाहिए, साथ ही इस दौरान सेक्स से भी बचना चाहिए।
बुखार से पीडि़त व्यक्ति को ठंडे और हवादार कमरे में रखना चाहिए। उसके कपड़े हल्के और सूती हों तथा रोगी को तरल पदार्थ, ताजी सब्जी, फल व दूध से बने पौष्टिक पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए।
– आनंद कुमार अनंत

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