Friday, January 24, 2025

अनमोल वचन

जब मनुष्य किसी मृतक के दाह संस्कार में सम्मिलित होने के लिए श्मशान घाट पर जाता है तो उसका मन वैराग्य से भर उठता है। उस समय मन परम तत्व के नियंत्रण में आ जाता है। यह वैराग्य किसी अन्य कारण से नहीं अपितु अपनी मृत्यु दिखने से पैदा होता है। जो पड़ौसी के साथ हुआ उसके साथ भी हो सकता है, किन्तु वैराग्य लुप्त होते भी समय नहीं लगता।

यहां लोग और मोह परमतत्व ईश्वर और मृत्यु को पीछे छोड़ सांसारिक कामनाओं की सूची खोल देते हैं। श्मशान में पैदा हुआ वैराग्य न जाने कहां तिरोहित हो जाता है।

भय और भगवान के बीच एक रहस्यात्मक सम्बन्ध है। जब मनुष्य भयभीत होता है तो उसे भगवान याद आते हैं। मनुष्य चाहता है कि वह जीवन के सबसे बड़े भय ‘मत्यु’ का कभी स्मरण न करे, जबकि ईश्वर चाहता है कि मनुष्य सदैव अपने ‘अन्त’ को याद रखे।

ईश्वर सदैव मनुष्य को इस सत्य (मृत्यु) से जोड़े रखने के लिए कुछ ऐसा करता रहता है कि जो मनुष्य को पसंद नहीं, प्रिय नहीं, परन्तु मनुष्य है कि मानता नहीं, उस ‘सत्य’ को भूलकर सदैव ही ऐसे कार्य करता रहता है, जो ईश्वर को प्रिय नहीं और पाप बटोरता रहता है और ‘अन्त’ समय तक जो निश्चित है, उस पाप की गठरी को भारी करता रहता है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,735FansLike
5,484FollowersFollow
140,071SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय

error: Content is protected !!