Saturday, November 23, 2024

कैराना में चार मौतों के बाद भी नही जागा स्वास्थ्य विभाग, दो नवजात की मौत पर परिजनों ने काटा हंगामा

कैराना। स्वास्थ्य विभाग की सांठगांठ के चलते संचालित चाइल्ड क्लीनिकों पर अप्रशिक्षित झोला छाप चिकित्सकों द्वारा मासूमों की जान लेने का सिलसिला जारी है। देव क्लीनिक पर दो नवाज शिशुओं की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा काटा। मौके पर पहुंची पुलिस चिकित्सक को हिरासत में लेकर कोतवाली ले आई।वहीं स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई करते हुए देव क्लीनिक को सील कर दिया है।
  शनिवार की देर रात्रि नगर के मोहल्ला आर्यापुरी निवासी साकिब व बसेड़ा निवासी अपने नवजात शिशुओं को लेकर मोहल्ले में ही स्थित देव चाइल्ड क्लीनिक पर गंदा पानी निकलवाने के लिए गए थे, जहां अप्रशिक्षित झोला छाप ने लालच में आकर पूरी तरह से स्वस्थ दोनों मासूमों को ऑक्सीजन की कमी बताकर अपने क्लीनिक पर भर्ती कर लिया। इस दौरान उन्हें गलत उपचार दे दिया गया,जिस कारण रविवार प्रात दोनों नवजात दम तोड़ गए। नवजात शिशुओं की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा काटा और झोला छाप पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। सूचना पर पहुंचे कार्यवाहक कोतवाली प्रभारी निरीक्षक नेत्रपाल सिंह ने चिकित्सक को हिरासत में ले लिया और उसे कोतवाली ले आए। बाद में मौके पर पहुंचे एसीएमओ डॉक्टर अश्वनी शर्मा ने कार्रवाई करते हुए क्लीनिक को सील कर दिया। सवाल यह उठता है कि जब जब भी मासूमों की मौत होती है तभी स्वास्थ्य विभाग की नींद खुलती है।इससे पहले इन अवैध क्लीनिकों पर कार्रवाई क्यों नही की जाती ? स्वास्थ्य विभाग और कितने मासूमों की जान जाने की प्रतीक्षा कर रहा है। लालच और भ्रष्टाचार के इस खेल में स्वास्थ्य विभाग की फजीहत हो चुकी है,लेकिन सख्त कार्रवाई से अभी भी परहेज किया जा रहा है।समय रहते अगर कुंभकर्णी नींद सोया स्वास्थ्य विभाग सख्त एक्शन ले लेता, तो चार मासूमों की जिंदगी बच सकती थी।
चंद रुपयों के लालच ने छीनी मासूमों की जिंदगी
स्वास्थ्य विभाग में फैले भ्रष्टाचार व चंद रुपयों के लालच के चलते अप्रशिक्षित झोलाछाप चिकित्सकों को स्वास्थ्य विभाग ने मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ करने की खुली छूट दे रखी है।गत 26 अगस्त को आर्यापुरी में स्थित आयात चाइल्ड केयर क्लीनिक पर बीबीपुर हटिया निवासी के नवजात की मौत हो गई। 10 सितंबर को रामडा निवासी दिलशाद के नवजात शिशु की मौत हो गई और 24 सितंबर को  देव चाइल्ड क्लीनिक पर गलत उपचार के चलते दो मासूमों ने दम तोड़ दिया। स्वास्थ्य विभाग ने उन्ही क्लीनिकों को सील किया जिन पर घटना हुई है,बाकी पर कार्रवाई से क्यों परहेज किया गया ? साथ ही 26 अगस्त को मालिक चाइल्ड क्लीनिक को भी सील किया गया था,कार्रवाई के बाद भी वहां अप्रशिक्षित चिकित्सक उपरी मंजिल पर मासूमों की जांदगी से खिलवाड़ कर रहा है। क्लीनिक पर सील लगने के बाद किसकी शह पर मरीजों को उपचार दिया जा रहा है।
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