हर साल लाखों लोग कैंसर से मरते हैं, जो विश्व स्तर पर मृत्यु का प्रमुख कारण है। कैंसर से लडऩे के लिए सबसे जरूरी है कि हमें इस बीमारी के बारे में सब कुछ पता हो, इसे कैसे रोका जाए और इसको कैसे डायग्नोस किया जाए।
कैंसर के प्रति जागरूकता लाने एवं इसकी जानकारी को जन-जन तक पहुंचाने के लिये पूरी दुनिया विश्व कैंसर दिवस मनाता है, ताकि हर साल लाखों लोगों को असमय काल का ग्रास बनने से रोका जा सके। पेरिस (फ्रांस) में साल 2000 में कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के दौरान विश्व कैंसर दिवस मनाने की घोषणा की गई थी। यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल द्वारा इस दिवस को मनाया जा रहा है। वर्ष 2024 की थीम है ‘देखभाल अंतर को बंद करें है जो दुनियाभर में विभिन्न आय, आयु, लिंग, जातीयता आदि के समूहों की आबादी द्वारा सामना की जाने वाली कैंसर देखभाल सेवाओं तक पहुंच में अंतर को खत्म करने पर केंद्रित है।
कैंसर एक ऐसा रोग है जिसके बारे में सुनकर ही लोग डर जाते हैं। कैंसर, वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती गंभीर और जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं एवं बीमारियों में से एक है, जिसके कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज का अनुमान है कि 2017 में कैंसर के कारण 9.56 मिलियन (95.6 लाख) लोगों की समय से पहले मौत हो गई। दुनिया में हर छठी मौत कैंसर के कारण होती है। मेडिकल क्षेत्र में क्रांतिकारी प्रयोग और तकनीक विकास के चलते कैंसर अब लाइलाज बीमारी तो नहीं रही है, पर अब भी आम लोगों के लिए इसका इलाज काफी कठिन बना हुआ है। असाध्य बीमारी होने के बावजूद इस बीमारी को परास्त किया जा सकता है, अगर जिजीविषा एवं हौसला हो तो कैंसर को भी पस्त किया जा सकता है। हम जानते हैं कि हममें से हर एक में बदलाव लाने की क्षमता है, चाहे बड़ा हो या छोटा, और साथ मिलकर हम कैंसर के वैश्विक प्रभाव को कम करने में प्रगति कर सकते हैं। अक्सर वही लोग खतरे में पड़ते हैं जो खुद को खतरे में महफूज समझते हैं या खतरे को गंभीरता से नहीं लेते हैं।
मानव शरीर कई कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। इनका समय-समय पर रिप्लेसमेंट होता है। जैसे-जैसे कोशिकाएं मरती जाती हैं उनकी जगह पर नई कोशिकाओं का निर्माण होता है। इन रिप्लेसमेंट के दौरान जो सेल मल्टिप्लीकेशन होता है उसके अंदर कोई एक विकृत कोशिका भी पैदा हो जाती है और यह असामान्य कोशिका ऐसी होती है जिस पर शरीर के सिस्टम्स का कोई नियंत्रण नहीं होता और यह सेल इस तरह मल्टीप्लाई करता है कि अंततोगत्वा यह ट्यूमर अथवा कैंसर का रूप अख्तियार कर लेता है। कैंसर कई प्रकार के हो सकते हैं, सभी उम्र के व्यक्तियों में इसका जोखिम देखा जा रहा है।
-ललित गर्ग