किसी विद्वान का यह कथन शत-प्रतिशत सत्य है कि खाली दिमाग शैतान का घर है। यह लोकोक्ति के रूप में प्राय: प्रयोग भी होता है। यह अच्छी सीख भी है और उन लोगों के लिए नसीहत भी है, जो काम से अधिक आराम को महत्व देते हैं।
खाली बैठना स्वयं को नकारात्मक विचारों के जाल में फंसाना है। यह बात अवश्य है कि काम करने वाले आदमी को आराम भी अनिवार्य है। काम और आराम में गहरा सम्बन्ध है। सोने के लिए तो भगवान ने रात बनाई है और काम करने के लिए दिन। आप काम करते-करते थक गये हैं, जो स्वाभाविक है, तो किसी दूसरे काम में जिससे आराम भी हो जाये स्वयं को लगा सकते हैं। इससे आपका आराम भी हो जायेगा और कोई दूसरा रचनात्मक कार्य भी हो जायेगा। एक आदमी का काम दूसरे के लिए आराम की बात बन सकता है।
डाक्टर के लिए डाक्टरी करना जैसे रोगियों को देखना, आपरेशन आदि करना काम है, परन्तु टीवी इंन्जिनयरिंग आराम की बात हो सकती है। कम्प्यूटर इंजिनघर के लिए कम्प्यूटर पर बैठकर काम करते-करते थक गये तो कोई ज्ञानवर्धक, आध्यात्मिक पुस्तक अथवा कोई पत्रिका आदि पढ़कर आराम हो सकता है।
आराम के इस प्रकार के रास्ते ढूंढ निकालो कि जब आप अपने काम से थक जाओ तो उन क्षणों का भरपूर उपयोग करो। इस प्रकार तुम निठल्ले भी न रह पाओगे और थकावट भी दूर होती रहेगी। खाली दिमाग ही विपत्तियों की बातें सोचा करता है, जो व्यस्त हैं, निठल्ला नहीं उसे चिंताओं का स्वागत करने का अवकाश कहां।