Sunday, February 23, 2025

विश्व कैंसर दिवस (4 फरवरी)….. कैंसर : डरकर नहीं, लड़कर मिलेगी जीत, आस, विश्वास और उपचार से हारता है कैंसर

आज आज विश्व भर में कैंसर के खिलाफ जागरूकता दिवस मनाया जा रहा है और इसकी बड़ी जरूरत भी है क्योंकि कैंसर दुनिया भर में मौतों की दूसरी प्रमुख वजह है। आंकड़े बताते हैं कि हर साल लगभग 10 मिलियन लोग कैंसर से मरते हैं लेकिन यदि समय पर इलाज हो एवं जागरूकता पैदा की जा सके तो कैंसर से संबंधित 40त्न से अधिक मौतों को रोका जा सकता है क्योंकि वे धूम्रपान, शराब का उपयोग, खराब आहार और शारीरिक निष्क्रियता जैसे कारणों से जुड़े हैं और इन कारकों को रोका व बदला जा सकता है ।कैंसर से संबंधित लगभग सभी मौतों में से कम से कम एक तिहाई को नियमित जांच, शीघ्र पता लगाने और उपचार के माध्यम से भी रोका जा सकता है।कैंसर से होने वाली 70% मौतें निम्न-से-मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। रोकथाम, शीघ्र पता लगाने और उपचार के लिए संसाधन उपयुक्त रणनीतियों को लागू करके हर साल लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है। कैंसर की बीमारी पर 1.16 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष खर्च होने का अनुमान है ।

 

विश्व कैंसर दिवस
कैंसर के भयंकर रोग के खिलाफ लडऩे के लिए सन् 2000 में विश्व शिखर सम्मेलन का आयोजन यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (यूआईसीसी) द्वारा किया गया था। विश्व कैंसर दिवस का उद्देश्य कैंसर के खिलाफ जागरूकता बढ़ाकर, जानकारी साझा करके, कैंसर से जुड़े मिथकों को दूर करके और कार्रवाई करने के लिए सरकारों के साथ काम करके कैंसर से होने वाली लाखों मौतों को रोकना है। हर तीन साल में, विश्व कैंसर दिवस और यूआईसीसी एक नए अभियान विषय और प्रत्येक वर्ष के विशिष्ट फोकस की घोषणा करता है । 2022-2024 के लिए अभियान का विषय देखभाल अंतर को बंद करना है। विश्व कैंसर दिवस 2024 का विषय विशेष रूप से हमारी आवाज़ों को एकजुट करना और कार्रवाई करना है। 4 फरवरी को मनाए जाने वाले विश्व कैंसर दिवस का आयोजन उन्हें याद करने के लिए भी किया जाता है जिन्होंने कैंसर के कारण अपना खो दिया है। एक प्रकार से विश्व कैंसर दिवस कैंसर से उबरने के जश्न का दिन है।

कैसे कैसे कैंसर

चिकित्सा विज्ञान के अनुसार विभिन्न लक्षणों एवं विशिष्टताओं के आधार पर कैंसर मुख्य रूप से पांच प्रकार के माने जाते हैं कैंसर को उस कोशिका के प्रकार के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है जिससे वे शुरू होते हैं। इनमें कार्सिनोमा कैंसर के सबसे आम रूप स्तन, प्रोस्टेट, फेफड़े और पेट के कैंसर हैं। सार्कोमा के सबसे आम रूप लेयोमायो सारकोमा, लिपोसार्कोमा और ओस्टियोसार्कोमा हैं लिम्फोमा और मायलोमा ऐसे कैंसर हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं में शुरू होते हैं। ल्यूकेमिया लसफेद रक्त कोशिकाओं और अस्थि मज्जा का कैंसर है, ऊतक जो रक्त कोशिकाओं का निर्माण करते हैं।मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के कैंसर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के कैंसर के रूप में जाना जाता है। कुछ सौम्य होते हैं जबकि अन्य बढ़ सकते हैं और फैल सकते हैं।

 

 

कैंसर के प्रमुख लक्षण
अलग अलग कैंसर के, लक्षण अलग-अलग होते हैं और इस पर निर्भर करते हैं कि रोग कहाँ स्थित है। हालाँकि, कुछ लक्षणों में
असामान्य गांठें या सूजन – कैंसरग्रस्त गांठें अक्सर दर्द रहित होती हैं और कैंसर बढऩे पर आकार में बढ़ सकती हैं। खांसी, सांस फूलना या निगलने में कठिनाई – लगातार खांसी आना, सांस फूलना या निगलने में कठिनाई से सावधान रहें।
आंत्र की आदत में परिवर्तन – जैसे कब्ज और दस्त और / या मल में रक्त पाया जाना।
अप्रत्याशित रक्तस्राव – इसमें योनि, गुदा मार्ग से रक्तस्राव, या मल, मूत्र या खांसते समय पाया जाने वाला रक्त शामिल है।
बेवजह वजन घटना – थोड़े समय (कुछ महीनों) में बड़ी मात्रा में अस्पष्टीकृत और अनजाने वजन में कमी।
अत्यधिक थकान – अत्यधिक थकान और ऊर्जा की गंभीर कमी भी कभी कभी कैंसर के रूप में प्रकट होती है। यदि थकान कैंसर के कारण है तो आमतौर पर व्यक्तियों में अन्य लक्षण भी होते हैं।
दर्द या पीड़ा- इसमें अस्पष्टीकृत या जारी दर्द, या दर्द जो आता और जाता रहता है, शामिल है।
नया तिल या तिल में परिवर्तन – आकार, आकार, या रंग में परिवर्तन देखें और देखें कि क्या यह पपड़ीदार हो गया है या खून बह रहा है या रिस रहा है।

 

पेशाब से संबंधित जटिलताएँ – इसमें तत्काल, अधिक बार पेशाब करने की आवश्यकता, या जब आपको पेशाब करने की आवश्यकता हो तो जाने में असमर्थ होना या पेशाब करते समय दर्द का अनुभव करना शामिल है।
स्तन में असामान्य परिवर्तन – आकार, आकार या अहसास, त्वचा में परिवर्तन और दर्द में परिवर्तन देखें।
भूख में कमी – लंबे समय तक सामान्य से कम भूख महसूस होना।
घाव या अल्सर – जिसमें कोई धब्बा, पीड़ादायक घाव या मुंह का अल्सर शामिल है।
सीने में जलन या अपच – लगातार या दर्दनाक सीने में जलन या अपच व रात में भारी पसीना आना – बहुत भारी, भीगने वाले रात के पसीने से सावधान रहें।

 

हारता भी है कैंसर
बेशक कैंसर एक खतरनाक एवं पीड़ा दायक बीमारी है और अब तक करोड़ों लोगों की जान ले चुकी है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इस बीमारी से जीता ना जा सके. जो कैंसर से डरने के बजाय लडऩे का माद्दा रखते हैं और जीवन से प्यार करते हैं तथा हार मानने के बजाय उपचार पर ध्यान देते हैं वें कैंसर को परास्त भी करते हैं। एक नहीं अनेक ऐसे नाम है जिन्हें कैंसर हुआ, लेकिन वह अपनी हिम्मत और समय पर उपचार की वजह से एक सितारे के रूप में उभर कर आए। ऐसे लोगों में मुख्य रूप से क्रिकेटर युवराज सिंह, अभिनय जगत से संजय दत्त, किरण खेर, ताहिरा कश्यप, अनुराग बसु ,सोनाली बेंद्रे,मनीषा कोइराला, राकेश रोशन व लीसा रे और गौतमी ताड़ीमल्ल आदि के नाम तो बहुत लोग परिचित होंगे । इन्होंने न केवल कैंसर से जंग लड़ी अपितु अपने करियर को भी संवारा, इसलिए कैंसर से डरना नहीं बल्कि उससे लडऩा है और इससे भी बेहतर है कि कैंसर के लक्षण दिखाई देते ही हम उपयुक्त चिकित्सक से मिले और समय रहते उसका उचित उपचार करें।

 

डर के आगे है जीत
और हां, कैंसर दिवस के अवसर पर हमें एक और सीख लेनी है। यदि हमारे परिवार, रिश्तेदारी अथवा आसपास कोई व्यक्ति कैंसर से पीडि़त हो तो उसकी मदद करना भी हमारा परम कर्तव्य हो जाता है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि उसे बार-बार कैंसर से पीडि़त बेचारे कहकर हतोत्साहित न करें अपितु उसे ऐसे हिम्मत बढाने वाले उदाहरण दें जिनमें कैंसर से लड़कर जीतने वाले लोगों की जीत का जिक्र शामिल हो। कैंसर से पीडि़त व्यक्तियों के लिए यदि संभव हो तो किसी एन जी ओ, अस्पताल या दूसरी अन्य संस्थाओं से धन प्राप्त करने एवं इलाज करवाने में उनकी मदद करें। उन्हें शांतिपूर्वक ससम्मान जीने का अधिकार दें और अंत में यह भी जान लें कि कैंसर महज एक बीमारी है किसी पूर्व जन्म या अब के जन्म के पाप का फल नहीं है इसलिए इसे अंधविश्वास से न जोड़ें बल्कि एक बीमारी की तरह ही ले और लोगों तक कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य करें।
-डॉ घनश्याम बादल

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