लखनऊ। पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए इस्लामिक रिसर्च सेंटर के निदेशक और अखिल भारतीय तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के महासचिव और अखिल भारतीय मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने इसे इस्लाम और इंसानियत दोनों के खिलाफ साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि टूरिस्टों का नाम पूछकर उन्हें निशाना बनाना इस्लाम की तालीम के सरासर खिलाफ है और ऐसा कोई मजहब नहीं जो इस तरह की हिंसा की इजाजत देता हो।
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यह घटना इस्लाम को बदनाम करने की सुनियोजित साजिश का हिस्सा है, जिसे आतंकी संगठन अंजाम दे रहे हैं। मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि आईएसआईएस, लश्कर-ए-तैयबा और अल-कायदा जैसे संगठन इस्लाम के नाम पर काम कर रहे हैं, लेकिन इनका इस पाक मजहब से कोई वास्ता नहीं है। उन्होंने दो टूक कहा कि यह तमाम संगठन इस्लाम को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा हैं और इनके पीछे पाकिस्तान की सरपरस्ती है। पाकिस्तान लगातार ऐसे संगठनों को पनाह देता आया है और आतंकवाद को संरक्षण देने में उसकी भूमिका किसी से छिपी नहीं है।
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उन्होंने मांग की कि भारत सरकार इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र (यूएनओ) में उठाए ताकि पाकिस्तान का असली चेहरा दुनिया के सामने उजागर हो सके। मौलाना ने कहा कि हाफिज सईद जैसे आतंकियों को पाकिस्तान ने संरक्षण दे रखा है, और लश्कर जैसे संगठन वहीं से ऑपरेट करते हैं। यह हमला उसी सिलसिले की एक कड़ी है और साफ तौर पर यह दिखाता है कि पाकिस्तान इस क्षेत्र में शांति नहीं चाहता। मौलाना ने कहा कि यह एक सोची-समझी साजिश है जिसका उद्देश्य भारत को अस्थिर करना और समाज में भय पैदा करना है। खासतौर से यह घटना इस मायने में और भी निंदनीय है कि इसमें धर्म के आधार पर लोगों को टारगेट किया गया।
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किसी के नाम और धर्म पूछकर उसे जान से मार देना न सिर्फ मानवता के खिलाफ है बल्कि इस्लाम के मूल संदेश के भी विरुद्ध है। मौलाना ने कहा कि भारत का मुसलमान इस घटना से बेहद आहत है और वह पीड़ित परिवारों के साथ पूरी हमदर्दी रखता है। उन्होंने भारत सरकार से मांग की कि दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो और आतंकवादियों को ऐसा सबक सिखाया जाए कि दोबारा कोई इस्लाम के नाम पर ऐसी हरकत करने की हिम्मत न करे। अंत में उन्होंने विश्वास जताया कि एक दिन वह समय जरूर आएगा जब पाक अधिकृत कश्मीर से भी तिरंगा लहराएगा।