नोएडा। पुलिस की वेबसाइट से एफआईआर अपलोड करके पीड़ितों को फोन करके जिलाधिकारी और पुलिस का बड़ा अधिकारी बनकर, उनके मुकदमे में मदद करने के नाम पर ठगी करने वाले एक जालसास को थाना सेक्टर-63 पुलिस ने आज गिरफ्तार किया है।
पुलिस उपायुक्त जोन द्वितीय शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि प्रदीप पुत्र मुलायम ने थाना सेक्टर-63 में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनका बाला यादव नामक व्यक्ति से उसका झगड़ा हुआ है। वह मेडिकल करवा कर घर लौट रहा था, तभी एक व्यक्ति का फोन आया तथा उसने कहा कि मैं जिला कलेक्टर बोल रहा हूं। आरोपी ने पीड़ित ने कहा कि वह अगर 3 हजार रुपए उसके खाते में ट्रांसफर कर देगा तो वह उसके मुकदमे में उसकी मदद करेगा। पीड़ित ने जब पैसे देने इंकार किया तो कथित कलेक्टर ने उसके साथ गाली-गलौज की।
उन्होंने बताया कि घटना की रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच कर रही थाना सेक्टर-63 पुलिस ने आज धीरेंद्र यादव पुत्र पहलवान यादव निवासी मध्य प्रदेश को गिरफ्तार किया है। इसके पास से पुलिस ने घटना में प्रयुक्त मोबाइल फोन भी बरामद किया है। उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान गिरफ्तार आरोपी ने पुलिस को बताया है कि वह यूपी पुलिस के एप से एफआईआर अपलोड करता है, तथा पीड़ितो से संपर्क कर उनकी मदद करने के बहाने उन्हें अपने झांसे में लेता है। खुद को वह आईएएस, आईपीएस अधिकारी बताकर पीड़ितों को अपने जाल में फंसता है, तथा उनसे रकम ऐठ लेता है। उन्होंने बताया कि इसने इस तरह की दर्जनों वारदातें करनी स्वीकार की है।
बता दें कि अभियुक्त धीरेन्द्र यादव द्वारा पुलिस को बताया गया है कि वह आम जनमानस की सुविधा के उत्तर-प्रदेश पुलिस द्वारा चलाये गये यूपी कॉप एप का गलत प्रयोग कर दूरस्थ स्थान के जनपद व थाना का चयन करके ध्एफआईआर निकाल लेता था तथा एफआईआर में शिकायतकर्ता द्वारा दिये गये मोबाइल नंबर पर कॉल कर उनसे उनकी घटना के बारे में सम्पूर्ण जानकारी कर, उनके द्वारा दर्ज कराये गये अभियोग में अभियुक्त की गिरफ्तारी व अपहृत की बरामदगी एवं अन्य कार्यवाही कराने के नाम पर पैसे की मांग कर क्यूआर कोड एवं यूपीआई के माध्यम से ऑनलाइन ट्रांजक्सन कराता था। यदि शिकायतकर्ता द्वारा उसे पैसे देने से मना किया जाता था तो उसके द्वारा शिकायतकर्ता के अभियोग की फाईल को दबा देने एवं कोई कार्यवाही न करने की धमकी दी जाती थी।
अभियुक्त धीरेन्द्र यादव 10वीं कक्षा फेल है। जिसके द्वारा पिछले एक वर्ष से यह कार्य किया जा रहा है। अभियुक्त द्वारा पूर्व में भी जनपद गाजियाबाद एवं गौतमबुद्धनगर में शिकायकर्ता से कॉल कर पैसे की मांग की जा चुकी है। अभियुक्त ने पूछताछ में यह भी बताया कि उसके गांव में लगभग 7-8 लडके यही काम करते है, जो सुबह के समय जंगल में चले जाते है तथा यूपी कॉप एप से एफआईआर निकालते है और यूपी कॉप एप में टाईटल को देखकर यह जानकारी करते है कि किस प्रकार का मुकदमा एवं किन धाराओं में लिखा गया है तथा जांच अधिकारी का भी नाम पता कर लेते है। उसके बाद अपना टारगेट फिक्स करते है। ठगी करने वाले लोग कानून की धाराओं की अच्छी जानकारी रखते है।
अभियुक्त द्वारा पीड़ित से करीब 3 से 5 हजार रूपये की मांग की जाती थी, जिससे कि कोई भी पीड़ित उसको आसानी से रूपये का ऑनलाइन ट्राजक्सन कर सके। अभियुक्त द्वारा जिस सिम से कॉल की जाती है उस सिम के धारक का नाम पता फर्जी रहता है, फर्जी सिम अभियुक्त द्वारा अपने ही गांव बारी के रहने वाले पुष्पेन्द्र यादव से लिया जाता था तथा अभियुक्त प्रत्येक ट्रांजक्सन में पुष्पेन्द्र यादव का ही अकांउट का प्रयोग करता था। जिसके लिए उसको प्रत्येक ट्रांजक्शन पर 20 प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। पुलिस अभियुक्त के अन्य साथी एवं अभियुक्त को फर्जी सिम उपलब्ध कराने वाले पुष्पेन्द्र यादव के बारे में भी पुलिस द्वारा जानकारी की जा रही है।