नई दिल्ली। भारत के फार्मास्यूटिकल बाजार (आईपीएम) ने इस साल अप्रैल में राजस्व में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि जारी रखी। यह जानकारी गुरुवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई। रेटिंग एजेंसी ‘इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च’ (इंड-रा) की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनियों की मूल्य वृद्धि की वजह से यह वृद्धि दर्ज की गई है, जिसमें वॉल्यूम में 1.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। लगभग सभी प्रमुख क्रॉनिक थेरेपी ने भी सकारात्मक वैल्यू और वॉल्यूम वृद्धि दर्ज करवाई है। इंड-रा के कॉरपोरेट रेटिंग्स के निदेशक निशीथ सांघवी ने कहा, “इंड-रा को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 के दौरान आईपीएम में सात से आठ प्रतिशत की वृद्धि होगी, जिसमें क्रॉनिक थेरेपी में निरंतर वृद्धि की गति होगी। यह निरंतर वृद्धि मूल्य वृद्धि और नए उत्पादों के लॉन्च के साथ देखी जा सकेगी।” रिपोर्ट से पता चला है कि एंटी-डायबिटिक सेगमेंट में जेनेरिकाइजेशन अवसरों के कारण अप्रैल में वॉल्यूम वृद्धि सालाना आधार पर 2.8 प्रतिशत रही।
प्रमुख थैरेपी जैसे कि गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल में 5.5 प्रतिशत, डर्मा में 3.1 प्रतिशत और कार्डियक में 2.2 प्रतिशत की वॉल्यूम वृद्धि भी दर्ज की गई। इसके अलावा, अप्रैल 2025 में स्थिर प्रदर्शन रहा, जहां सभी थैरेपी में मूल्य वृद्धि देखी गई। कार्डियक, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, एंटी-डायबिटिक और डर्मा जैसी थैरेपी में आईपीएम की तुलना में वॉल्यूम में अधिक वृद्धि देखी गई। गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल, विटामिन, दर्द/एनाल्जेसिक और एंटी-इंफेक्टिव जैसी अक्यूट थैरेपी में क्रमशः 10.1 प्रतिशत, 7.5 प्रतिशत, 8.5 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि देखी गई। डर्मा, कार्डियक, एंटी-डायबिटिक और सीएनएस जैसी क्रॉनिक थैरेपी में क्रमशः 10.8 प्रतिशत, 10.6 प्रतिशत, 7.7 प्रतिशत और 9.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इंड-रा की मार्च रिपोर्ट से पता चला है कि एक्यूट सेगमेंट की बिक्री में सालाना आधार पर 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। कार्डियक (आईपीएम का 13.4 प्रतिशत क्रोनिक), एंटी-इंफेक्टिव (11.7 प्रतिशत एक्यूट), गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल (12.1 प्रतिशत एक्यूट), एंटी-डायबिटिक (9.2 प्रतिशत क्रोनिक) और विटामिन (9.0 प्रतिशत एक्यूट) ने मार्च 2025 में आईपीएम में 55 प्रतिशत का योगदान दिया।