Friday, May 9, 2025

अनमोल वचन

आज मनुष्य इसलिए दुखी है कि वह ज्ञान होते हुए भी काम, क्रोध, लोभ के वशीभूत हो ज्ञान के विपरीत आचरण करता है। यह जानते हुए भी कि मूल्य आधारित, सुख एवं शान्तिपूर्ण सामाजिक जीवन के लिए संयमपूर्ण आचरण अतिआवश्यक है। वह अप्राकृतिक रूप से स्वच्छन्द व्यवहार करता है। ज्ञान होते हुए भी अज्ञानियों जैसा जीवन जीता है। देवताओं और राक्षक्षों में मात्र इतना ही तो अंतर है कि देवताओं का आचरण ज्ञान, धर्म एवं संयम से पूर्ण होता है और राक्षसों का अज्ञान एवं अधर्मपूर्ण। हमारे विपरीत आचरण का सबसे बड़ा कारण हमारा दूसरों के वैभव को देखकर वैसा ही बनने की या वैसा ही पाने की कमजोरी है, जिसके लिए हम उचित अनुचित मार्ग भी अपनाते हैं, जिसका परिणाम पतन, तनाव, पीड़ा एवं नाना प्रकार के कष्टों में होता है। सुखी रहना है तो दूसरों के ऐश्वर्य को देखकर अपना धैर्य मत खोयें। परिश्रम और ईमानदारी की अपनी कमाई में संतुष्ट रहे। दूसरों के वैभव को अपने मन में महत्व मत दो अन्यथा लोभ और तृष्णा भयानक स्तर तक पहुंच जायेंगे और पूरा जीवन उन्हें पाने एवं उन्हें सुरक्षित रखने में ही नष्ट हो जायेगा।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

80,337FansLike
5,552FollowersFollow
151,200SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय