नोएडा। नोएडा में खाली पड़े आवासीय प्लाटों को फर्जी दस्तावेज के आधार पर बेचने और उसपर करोड़ों रुपए का लोन करवाने का प्रयास करने वाले एक गैंग के सरगना समेत नौ लोगों को थाना सेक्टर 58 पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में एक व्यक्ति ऐसा भी है जो खुद को एक बड़ा अधिकारी बताकर लोगों को अपने प्रभाव में लेता है। यह व्यक्ति विभिन्न प्रकार के अपराधों में संलिप्त बताया जाता है। पुलिस ने इनके पास से फर्जी दस्तावेज, मोबाइल फोन आदि बरामद किया है।
सेक्टर-14ए स्थित अपर पुलिस उपायुक्त कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान पुलिस उपायुक्त (जोन प्रथम) रामबदन सिंह ने बताया कि शशिकांत राय पुत्र केदारनाथ राय निवासी दिल्ली ने थाना सेक्टर-58 में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि सेक्टर-55 में 375 स्क्वायर मीटर का उनका एक आवासीय प्लाट है, जिसकी कीमत करोड़ों रुपया है। पीड़ित के अनुसार उनके प्लाट पर सीसीटीवी कैमरा लगा है, जहां पर कुछ लोग जबरन प्रवेश करने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने बताया कि घटना की सूचना पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तथा जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि उक्त प्लाट को कुछ लोग फर्जी तरीके से बेच रहे थे, तथा उस पर करोड़ों का लोन करवाने का प्रयास कर रहे थे।
डीसीपी ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में राकेश बिष्ट, देवाशीष, हितेश पोसवाल, हृदय, अभिषेक, नीरज झा, अनिल भड़ाना, विभूति, संजय शाह, कप्तान, नीतीश पोसवाल सहित 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि इनके पास से फर्जी दस्तावेज आदि बरामद हुआ है। डीसीपी ने बताया कि पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला है कि इनका एक संगठित गिरोह है। ये लोग खाली पड़े प्लाटों के मालिक के दस्तावेज आदि नोएडा प्राधिकरण में सेटिंग करके हासिल करते हैं।
उसके बाद असली डिड पर नकली व्यक्ति की फोटो लगाकर ग्राहक से कहा जाता है कि उस प्लाट का ओरिजिनल मलिक यह है। उन्होंने बताया कि आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर शशिकांत राय के मकान को हितेश पोसवाल को बेच दिया था। हितेश ने उक्त प्लाट पर 3 करोड़ 21 लाख रुपए का लोन अप्लाई किया तथा 2 दिन पूर्व ये लोग जब शशिकांत राय के आवासीय प्लाट पर जबरन कब्जा लेने के लिए गए थे। तब उन्होंने वहां लगे सीसीटीवी कैमरे से इनकी हरकत को नोट की, तथा पुलिस को सूचना दी।
उन्होंने बताया कि अभियुक्तों से पूछताछ के दौरान पता चला है कि इस पूरे प्रकरण का सरगना राकेश बिष्ट व देवाशीष है। राकेश बिष्ट व देवाशीष एक दूसरे को काफी समय से जानते है। देवाशीष एवं अन्य सभी व्यक्ति राकेश बिष्ट को रिटायर्ड बडा अधिकारी समझते है।
राकेश बिष्ट ने देवाशीष को बताया कि कोई विवादित प्रापर्टी हो तो मुझे बताना, देवाशीष पहले वनस्थली स्कूल में पढता था स्कूल के सामने काफी समय से एक प्लाट खाली पडा हुआ था। देवाशीष के दिमाग में आया कि यह प्लॉट काफी समय से खाली है। देवाशीष ने उक्त प्लाट के बारे में राकेश बिष्ट को बताया।
इसके बाद इन लोगों द्वारा किसी व्यक्ति को जिसके पास अच्छा पैसा हो और विवादित प्रापर्टी खरीदता हो तलाश की क्रम में इन लोगो की मुलाकात अनिल भडाना, संजय शाह, कप्तान सिंह, नीरज झा, विभूति व अभिषेक से हुये, अनिल भडाना, इतेश पोसवाल का करीबी व पडोसी है। इतेश पोसवाल का खोडा में सीमेन्ट रोडी, बजरी का व्यवसाय है, इन लोगों ने यह योजना ईतेश पोसवाल व नितेश पोसवाल को बताई।
इनके द्वारा बैंक से लोन कराने हेतु फर्जी दस्तावेज तैयार किये गये तथा फर्जी सेल एग्रीमेन्ट बनवाये गये जिस पर इन लोगो द्वारा हस्ताक्षर भी किये गये है तथा इन सभी लोगो द्वारा 50 लाख रूपये आरटीजीएस व चेक द्वारा केदारनाथ राय के फर्म में ट्रांसफर कराये गये तथा बताया कि यह पैसे खर्च के है जिसमें इन पैसों को इन लोगो ने आपस में बांट लिया जिसमें से 15 लाख रूपये राकेश बिष्ट को दिये बाकी सभी लोगों ने 4-4 लाख रूपये बांटे तथा 11 लाख देवाशीष ने लिए थे।