Friday, January 24, 2025

चाइना की रहस्यमय निमोनिया की क्या थ्योरी? निमोनिया का केंद्र चीन, शक इसलिए जरूरी?

खुराफाती चीन की कारस्तानियों ने फिर दुनिया को खौफजदा कर दिया है। वहां से पनपा जानलेवा ‘निमोनिया हर जगह दस्तक देने को तैयार है। कई जगहों पर तो कहर बरपाना शुरू कर दिया है? इसलिए आमजन का खौफजदा होना स्वाभाविक भी है क्योंकि बात बच्चों के स्वास्थ्य की जो है। वैसे, अभी तक अधिकांश एशियाई मुल्क ही इस बीमारी की चपेट में है। इसलिए, संभावित खतरों को देखते हुए सभी देश मेडिकल अलर्ट पर हैं। अलर्ट पर इसलिए हैं क्योंकि निमोनिया का केंद्र चीन में जो है। कोविड़ का केंद्र भी वहीं था।
तभी से वो सभी की नजरों में है। निमोनिया फैलने की खबर के बाद दुनिया में एक आवाज उठने लगी हैं कि क्यों चाइना मानव स्वास्थ्य का दुश्मन बना हुआ है? क्यों बेमौत मारने पर तुला है। सच्चाई क्या ये चीन ही जानता है पर कोविड-19 को फैलाने का ठप्पा तो उसके माथे पर चस्पा है? जिसे न चाहते हुए भी नहीं हटा पा रहा? अब नई आफत निमोनिया ने खड़ी कर दी। चाइना निमोनिया को लेकर दुनिया के निशाने पर है।
चतुर चीन के रहस्यमय निमोनिया की चपेट में बच्चे ही ज्यादातर आ रहे हैं। लाखों की संख्या में स्कूली बच्चे अभी तक प्रभावित हो चुके हैं। विगत कुछ दिनों से वहां के तमाम अस्पताल निमोनिया से पीडि़त बच्चों से खचाखच भरे हैं। फिलहाल, चीन इस बीमारी को अज्ञात बता रहा है। चिकित्सा विज्ञान ने इसका नामकरण ‘एवियन इन्फ्लूएंजा से किया है। वायरस भी बता रहे हैं। वायरस को ‘एच9-एन2Ó नाम दिया है। लेकिन पूर्ववर्ती सच्चाईयों पर गौर करें तो इससे पहले भी आई फ्लू, स्वाइन फ्लू, कोरोना और अब ये ‘एवियन इन्फ्लूएंजा सभी चीन ने ही दुनिया को बिन मांगे दिए हैं। डब्ल्यूएचओ ने हमेशा की तरह सावधानी बरतने को कहा है।
चीन का वुहान चिकित्सीय प्रयोगशाला मेडिकल रिसर्च के लिए एक थ्योरी और पहेली बना हुआ है क्योंकि वहां के निर्मित वायरस और जैविक अनुसंधान, अजन्मी बीमारियां, घातक वायरस और उनके सब-वेरिएंट ही संसार पर कहर ढा रहे हैं। ताज्जुब इस बात का है कि सब कुछ जानते-समझते हुए भी ग्लोबल स्तर के तमाम तथाकथित वैश्विक स्वास्थ्य संगठन न तो चीन को जवाबदेह ठहरा रहे हैं और न ही कोई कार्यवाही करने का मन बनाते हैं। समझ में नहीं आता कि क्यों स्वास्थ्य संगठन, विश्व की महाशक्तियां व ‘नोटा जैसे मजबूत संगठन चीन की दादागीरी पर प्रहार नहीं करते।
चिकित्सा विज्ञान के लिए तय करना हो रहा है कि निमोनिया के पीछे चीन की वास्तव में कोई मानवीय हिमाकत है या नहीं? हालांकि इस पर अभी कुछ कहा भी नहीं जा सकता? पर, संदेह करने की वजहें बहुतेरी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक टीम इसकी खोज में है। शुरूआती जांच पड़ताल में कुछ ऐसे इंनपुट उन्हें मिले हैं जिससे संदेह हुआ है कि ये स्व:मिर्मित वायरस हो सकता है। हालांकि, प्रमाणित होने के लिए अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है। पर, फाइनल रिपोर्ट से पहले ही डब्ल्यूएचओ ने चीन को लताड़ते हुए कुछ सवाल-जवाब जरूर किए हैं, जिस पर चीन ने सफाई देकर फिलहाल अपना पल्लाझाड़ लिया है। लेकिन शक-संदेह के जो बादल चीन पर मंडरा गए हैं, उनसे जल्द छुटकारा पाना संभव नहीं होगा? क्योंकि हर मर्तबा ये सवाल उठता कि ज्यादातर जानलेवा अजन्मी बीमारियां और वायरस चीन में ही जन्म लेते हैं? कोविड के वक्त भी ये बड़ा सवाल खड़ा हुआ था जिसका माकूल जवाब आज तक नहीं मिल पाया।
बहरहाल, चाइना में फैले रहस्यमय निमोनिया ने न सिर्फ एशिया को बल्कि समूचे संसार को भयभीत कर रखा है। हालांकि, अभी छुटपुट ही केस सामने आए हैं लेकिन, उन्होंने ही चिकित्सा तंत्र की सांसों को फुलाया हुआ हैं। दरअसल, संसार कोविड के बाद से भयभीत है, वो महामारी भी चीन से फैली थी, उसके फैलने का अंदाज भी कमोबेश कुछ ऐसा ही था। कोरोना के पहले एकाध केस सामने आए थे, फिर उसने जो विकराल और रौद्र रूप धारण किया, उसे आज भी याद करके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उस गुजरे वक्त को कोई भूल से भी याद नहीं करना चाहता।
उस दौर में कोई ऐसा शख्स नहीं होगा जिसने अपनों या अपने किसी परिचित को न खोये हो? इसी कारण लोग निमोनिया से डरे हुए हैं। लोग सोचते हैं कि कहीं निमोनिया भी कोविड जैसा मंजर न पैदा कर दे। चीनी निमोनिया की स्थिति को देखते हुए भारतीय हेल्थ विभाग पूरी तरह से चौकन्ना है। दिल्ली से स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को अलर्ट पर रहने के आदेश दिए हैं। इसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने खुद समीक्षा बैठक करके स्थिति का जायजा लिया हैं। ये अच्छी बात है कि कोई संभावित समस्या बढे, उससे पहले ही मुकम्मल तैयारियां कर ली जाएं ताकि माहौल ऐन वक्त पर पैनिक न हो।
कभी-कभार ऐसा प्रतीत होता है कि दुनिया की महाशक्ति बनने का सपना और विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं के मद में चीन पगला गया है। तभी वो संसार को किसी-न-किसी संकट में डालता रहता है। उसकी हरकतों पर लोग थूकने लगे हैं लेकिन बावजूद इसके अपनी कुटिल कारस्तानियों से बाज नहीं आता? चीनी अधिकारी निमोनिया की बिल्कुल भी पुष्टि नहीं कर रहे। फालतू की सफाई देते हैं कि ये कोई नई बीमारी नहीं है, पुरानी है। सामान्य जीवाणु संक्रमण मात्र है जिसपर जल्द रोकथाम करेंगे। चाइना के इस तर्क पर यकीन कर भी लें, तब भी चिंता की बात इसलिए है, क्योंकि ज्यादातर संक्रमण चाइना से आयात होते हैं। निमोनिया को लेकर चीन झूठ पर झूठ बोल रहा है।
हांलाकि, पड़ोसी नेपाल ने थोड़ी हिम्मत दिखाई, उसने चीन पर सीधा आरोप लगाया, बोला निमोनिया के पीछे तुम्हारा ही हाथ है। इस पर चीन तमतमाकर बौखला गया? नेपाल में चल रहे निर्माण कार्य को रोकने की धमकी दे डाली। उसके बाद नेपाल भी शांत हो गया। एक देश के बूते की बात नहीं, चाइना की कारस्तानियों पर अंकुश लगाने के लिए ग्लोबल स्तर पर विश्व के विकसित देशों को एक मंच पर साथ आना होगा। सबसे पहले वुहान स्थित मेडिकल लैब की जांच करनी चाहिए, जहां जाने का चीन ने प्रतिबंध लगाया हुआ है। वहां, कुछ तो गडबड़झाला है बात पल्ले नहीं पड़ती, आखिर क्यों वायरस फैलाकर चीन दुनिया को मारना चाहता है। ऐसे सवाल अब और बड़े हो गए हैं। इस काम को सिर्फ डब्ल्यूएचओ की चेतावनी और डांट-डपटकर नहीं कर सकती। सभी को साथ आना होगा।
-डॉ0 रमेश ठाकुर
- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,735FansLike
5,484FollowersFollow
140,071SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय

error: Content is protected !!