इस्लामाबाद। भारत के जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला पाकिस्तान के लिए गले की फांस बन गया है। न उससे उगलते बन रहा और न ही निगलते। इस हमले के बाद भारत के दंडात्मक कूटनीतिक उपायों की घोषणा से वह बिलबिला गया है।
हालांकि मुल्क की अवाम को खुश करने के लिए उसने भी कुछ जवाबी कदम उठाए हैं। पहलगाम हमले के ठीक दूसरे दिन भारत के सिंधु जल संधि को स्थगित करने की घोषणा से वह भविष्य में होने वाले जल संकट से पसीना-पसीना है। संघीय सरकार ने रविवार को दिनभर चीन समेत कई देशों से गुहार लगाता रहा। चीन को इस समय उसका सबसे बड़ा हमदर्द माना जाता है।
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डॉन अखबार की वेबसाइट पर आज सवेरे अपडेट की रिपोर्ट के अनुसार, मुल्क के राजनीतिक नेतृत्व ने पहलगाम हमले के मद्देनजर भारत की भड़काऊ कार्रवाई और झूठे आरोपों को छिपाने के प्रयासों को उजागर करने के लिए सप्ताहांत में कई देशों के साथ बातचीत जारी रखी। चीन, ब्रिटेन और ईरान के नेताओं के साथ अलग-अलग बातचीत में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, उप प्रधानमंत्री और विदेशमंत्री इशाक डार ने नई दिल्ली के उठाए गए एकतरफा कदमों की ओर ध्यान आकर्षित किया। शहबाज और डार ने इस दौरान सिंधु जल संधि का मुद्दा प्रमुखता से उठाया।
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डार ने ब्रिटेन और चीन के अपने समकक्षों से बात कर दखल देने की गुहार लगाई। चीन के विदेश मंत्री और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य वांग यी ने डार से कहा कि बीजिंग पाकिस्तान और भारत के बीच पनप रहे हालात पर बारीकी से नजर रख रहा है। बीजिंग, पाकिस्तान की चिंता को समझता है। वह पाकिस्तान के साथ है।
ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड लैमी ने मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान के माध्यम से स्थिति को कम करने के महत्व पर जोर दिया। इससे पहले शहबाज शरीफ ने शनिवार को ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन से दखल देने की गुहार लगाई थी। शहबाज ने सिंधु जल संधि का मुद्दा प्रमुखता से उठाया।शहबाज शरीफ ने रविवार को जति उमरा में अपने बड़े भाई पीएमएल-एन प्रमुख नवाज शरीफ से मुलाकात कर पहलगाम हमले और उसके बाद की स्थिति के बारे में जानकारी दी।