स्वप्नों का संसार अत्यन्त अद्भुत, अलौकिक एवं रोमांचक है। अब स्वप्नों को केवल मनुष्य के अवचेतन मन की कल्पनाओं का बिंब कह कर प्रकृति की इस रहस्यमयी कार्य-प्रणाली को चाय की भाप की भांति उड़ाया नहीं जा सकता क्योंकि गहन अध्ययनों एवं अनुसंधानों से यह बात पूर्णत: सत्य सिद्ध हो चुकी है कि स्वप्नों का मनुष्य के जीवन के साथ बड़ा गहरा एवं महत्वपूर्ण संबंध है।
वर्तमान जीवन में स्वप्न जहां एक ओर मनुष्य की अतृप्त वासनाओं तथा इन्छाओं की पूर्ति करते हैं और उनसे अजीबो गरीब कारनामे करवाते हैं, वहीं उन्हें दूर अतीत में भी ले जाते हैं, जहां से दृश्य चलचित्रा की भांति उनकी आंखों में तैरने लगते हैं।
यही नहीं, कभी कभी तो स्वप्न मनुष्य को भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं-दुर्घटनाओं तथा अन्य कई बातों का पूर्वाभास भी देते हैं। ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जब स्वप्नों ने अपने माध्यम से भावी घटनाओं की पूर्व सूचना देकर यह चेताया है कि हमारा भी अलग से एक विलक्षण अस्तित्व है। जरूरत है, तो सिर्फ हमें समझने और निष्कर्ष निकालने की। संसार में ऐसे कई विद्वान लेखक और महान वैज्ञानिक हुए हैं जिन्होंने स्वप्नों के आधार पर ही विश्व को श्रेष्ठतम साहित्य एवं महत्वपूर्ण आविष्कार दिए है। आइए, पढ़ते हैं हैरत अंगेज स्वप्नों के कुछ रोचक रोमांचक विवरण।
लंदन के डाकलैंड क्षेत्रा में नौ फरवरी, 1996 अकस्मात् हुए बम काण्ड का पूर्वभास क्रिस राबिंसन नामक व्यक्ति को कई दिन पहले पहले ही स्वप्न द्वारा हो गया था। इस बम विस्फोट ने सत्राह मास से चले आ रहे आई. आर. ए. युद्ध विराम को भंग कर दिया था। किसी को भी ऐसी घटना की आशंका तक न थी। सब यही सोचते थे कि अब स्थाई शांति स्थापित हो गई है। स्वयं पुलिस और राजनीतिज्ञों के लिए भी यह घटना अप्रत्याशित थी। सारा देश भौंचक्का था। इस भयानक बम विस्फोट में दो निर्दोष लोग अपने प्राण गवां बैठे थे और सैकड़ों व्यक्ति बुरी तरह से घायल हो गए थे। यही नहीं, इस विस्फोट से गगनचुम्बी मजबूत इमारतें तक धराशायी हो गई थी।
ब्रिटिश पुलिस के उच्चाधिकारियों द्वारा बम विस्फोट के संबंध में जब क्रिस राबिंसन से पूछा गया तो उसने बताया कि कुछ दिन पूर्व जब मैंने स्वप्न में इस बम विस्फोट का हाहाकारी दृश्य देखा तो मैं बेचैनी सी अनुभव करने लगा। मुझे यह स्वप्न सामान्य नहीं लगा क्योंकि पिछले कई महीनों से मैंने न कभी आई.आर.ए. की गतिविधियों के बारे में गहराई से सोचा ही था और न ऐसी घटना की कल्पना तक ही की थी।
फिर जब निरंतर मुझे बम विस्फोट के स्वप्न आने लगे तो मैं यह सोचने के लिए मजबूर हो गया कि निकट भविष्य में ऐसा कोई भयानक काण्ड जरूर होने वाला है। बार-बार के इन स्वप्नों से मैंने पहले ही जान लिया था कि आई.आर.ए. के पास एक वाहन बम है और वह फटने वाला है। मुझे यह भी मालूम हो गया था कि बम किसी फ्लाईओवर या रेललाइन के नीचे दो खंभों के बीच फटेगा।
क्रिस राबिंसन का स्वप्न सच निकला और यह भी कि उसने दो आदमियों को बम विस्फोट से मरते तथा सैकड़ों को घायल होते देखा था। यह पूछे जाने पर कि जब उसे इस घटना का स्वप्न द्वारा पूर्वाभास मिल गया था, तब उसने पुलिस को इसकी सूचना क्यों नहीं दी? उसने बताया कि डॉकलैंड बम विस्फोट से पांच दिन पूर्व उसने अपने कुछ मित्रों से इस स्वप्न की चर्चा की थी और ब्रिटिश इण्टेलिजेंस को टेलीफोन भी किया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। परामनोवैज्ञानिक शोधकर्ता डॉक्टर कीथ हियनें ने भी इस बात को स्वीकार किया कि राबिंसन ने बम विस्फोट से कुछ दिन पूर्व हमें स्वप्न के बारे में सूचित किया था लेकिन उन्होंने इसको गंभीरता से नहीं लिया था।
प्रिय पाठकों, क्या यह सचमुच आश्चर्य की बात नहीं है कि जो घटना अभी घटी ही नहीं थी और जिसकी कोई संभावना भी नहीं थी, वह प्रमाणों सहित वास्तविक दृश्यों को दर्शाती हुई स्वप्न के रूप में क्रिस राबिंसन को दृष्टिगोचर हुई। स्पष्ट है यह आम धारणा कि स्वप्न केवल मानव मन के किसी ज्ञात कोने में दुबकी-सिमटी इच्छाओं या कल्पनाओं के बिंब ही होते हैं, निश्चित रूप से सही नहीं है बल्कि उनका संबंध किसी अलौकिक शक्ति से भी जुड़ा होता है जो दृश्यों समेत सन्देश प्रसारित करके मानव मस्तिष्क को सचेत करती है।
ऐसी ही एक अन्य घटना का विवरण कुछ यूं हैं। सन् 1854 के प्रारम्भिक दिनों में स्वीडिश सोसायटी फार फिजीकल रिसर्च की संस्थापक इस हेल्सट्राम ने एक रात स्वप्न में देखा कि वह और उसका पति स्टाकहोम शहर के ऊपर उड़ रहे हैं। उड़ते-उड़ते ज्यों ही इवा की दृष्टि नीचे गई, उसे हरे रंग की एक टेऊन और नीले रंग की एक ट्राली की भिड़ंत दिखाई पड़ी। स्वप्न में हुए जोरदार धमाके के कारण इवा की नींद भंग हो गई। वह उठ बैठी और स्वप्न के बारे में सोचने लगी। भिड़ंत वाला दृश्य अब भी उसके मस्तिष्क में कौंध रहा था।
स्वप्न में देखे गए दृश्य को रेखाचित्र और मानचित्र बना कर इवा ने पाया कि वह दुर्घटना स्टाकहाम स्थित वैलहालवैगन स्थान में हुई थी। इवा ने मुस्करा कर गहरी सांस ली क्योंकि उस समय स्वीडन में सभी ठेन भूरे रंग की होती थी, अत: दुर्घटना का सवाल ही नहीं उठता था लेकिन कुछ महीनों बाद ही एक हरे रंग की ट्रेन चलाई गई। तब इवा ने इस स्वप्न के आधार पर यह भविष्यवाणी की कि जुरशोम से स्टाकहोम आने वाली हरे रंग की ट्रेन और नम्बर चार की नीली ट्राली जब भी वैलहालावैगन क्रासिंग पर एक समय पर पहुंचेगी, दुर्घटना होगी।
4 मार्च, 1856 को इवा की भविष्यवाणी सच हुई। अचम्भा इस बात का था कि इवा ने स्वप्न दुर्घटना देख कर जैसा रेखाचित्रा खींचा था, दुर्घटना के बाद वैलहालवैगन क्रासिंग पर ठीक वही दृश्य था। ट्राली भी नम्बर चार की थी और हरे रंग की ट्रेन भी जुरशोम से आ रही थी।
ऐसा भी नहीं है कि स्वप्न केवल शुभ-अशुभ घटनाओं का ही पूर्वाभास देते हैं। कई बार तो वे चमत्कारिक ढंग से मनुष्य का भाग्य भी बदल देते है और उसे फर्श से उठा कर अर्श तक पहुंचा देते हैं। कोई माने या न माने लेकिन संसार का प्रख्यात धनपति और सोने की खान का स्वामी विनफील्ड स्काट स्ट्राटन तो जरूर ऐसा मानता है। चार जुलाई, 1891 को जब वह व्यवसाय में अपना सब कुछ गंवा कर अपने एक साथी के साथ शांति की खोज में कोलेरेडो के झरनों की कलकल ध्वनि के बीच तारों भरे आकाश के नीचे घास पर सोया हुआ था तो उसे एक विचित्र स्वप्न आया जिसमें उसे सोने की एक खान के बारे में पता चला।
स्वप्न में देवदूत दिखने वाले एक व्यक्ति ने उससे कहा था कि तुम यहां से सीधे बैटिल पहाड़ पर चले जाओ। फिर उसने स्वप्न में ही पहाड़ का रास्ता दिखा कर उसे एक स्थान दिखाया और कहा कि यहां खोदो, तुम्हें सोना मिलेगा। स्ट्राटन स्वप्न देख कर नींद से जाग कर बैठ गया। उसने वह स्वप्न अपने साथी को सुनाया। प्रत्युत्तर में उसके साथी ने उसे डांट कर सुलाने की कोशिश की लेकिन स्ट्राटन की जिद पर उसने स्वप्न में देखा हुआ स्थल खोज लिया और ज्यों ही उसने उसे खुरचा, उसमें से सोना झलक आया। सोने की वह खदान आज भी संसार में दूसरे नम्बर की मानी जाती है जबकि भूगर्भ- शास्त्रियों ने 1874 में उस स्थल की परीक्षा करके यह घोषणा कर दी थी कि वहां लाल पथरीली भूमि के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।
इस प्रकार के विविध स्वप्नों के बारे में भले ही अनुसंधानकर्ताओं की अलग-अलग व्याख्याएं हैं लेकिन इतना सुनिश्चित है कि स्वप्नों के रहस्यमय संसार का संपूर्ण उद्घाटन एक दिन अवश्य ही अनेक महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों के मार्ग सुझाएगा।
-गुरिन्द्र भरतगढिय़ा
-गुरिन्द्र भरतगढिय़ा