पालघर (महाराष्ट्र)। मीरा भायंदर-वसई विरार पुलिस ने विरार क्षेत्र में एक बांग्लादेशी नागरिक द्वारा चलाए जा रहे कथित सेक्स-रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसका जाल मुंबई और भारत के अन्य हिस्सों तक फैला हुआ है। अधिकारियों ने शनिवार को यहां बताया कि पुलिस ने एक नाबालिग समेत तीन बांग्लादेशी लड़कियों को छुड़ाया है।
विरार के अर्नाला में पुलिस ने गुप्त सूचना मिली कि अशोक हरनु दास (54) नाम का एक बांग्लादेशी नागरिक बांग्लादेश से अवैध रूप से लाई गई तीन महिलाओं के साथ अपने घर में सेक्स-रैकेट चला रहा था। पुलिस ने उस पर नजर रखनी शुरू कर दी और उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया।
पकड़ेे जाने के बाद दास ने पुलिस के सामने कबूल किया कि उसने लगभग 200-250 लड़कियों को फंसाया और उन्हें बेच दिया। वह उन्हें दक्षिण मुंबई के ग्रांट रोड के रेड-लाइट इलाकों में भी भेज रहा था।
पुलिस अधिकारी संतोष चौधरी और एक एनजीओ के लोग नकली ग्राहक बनकर उसके ठिकाने पर पहुंचे और सौदे तय होने के बाद टीम ने शुक्रवार को म्हाडा कॉलोनी, बिल्डिंग नंबर 7 में दास के फ्लैट पर छापा मारा।
पुलिस ने दास को गिरफ्तार कर लिया और 17 वर्षीय एक लड़की सहित तीन बांग्लादेशी लड़कियों को उसके चंगुल से छुड़ाया।
चौधरी ने बताया कि उनकी टीम ने सबसे पहले दास से संपर्क किया। उसने उन्हें व्हाट्सएप पर दो महिलाओं की तस्वीरें भेजीं और यह भी कहा कि 17 साल उम्र की एक और (नाबालिग) लड़की फ्लैट पर उपलब्ध होगी। दास ने कहा, उसका शुल्क 10,000 रुपये होगा।
पूछताछ करने पर दास ने बताया कि वह करीब 15 साल पहले परिवार के साथ ढाका से यहां आया था और मुंबई में काम कर रहा था।
बाद में वह दक्षिण मुंबई के रेड-लाइट इलाकों में काम करने वाले मनोज यादव और बसु नाम के कुछ मानव-तस्करों और दलालों के संपर्क में आया। इसके बाद उसने देह-व्यापार के लिए लड़कियों की खरीद और आपूर्ति शुरू कर दी।
पुलिस ने बताया कि दास ने बड़ी रकम देने का वादा कर बांग्लादेश और भारत के अन्य हिस्सों से लड़कियों को लुभाना शुरू कर दिया। उसने कबूल किया कि पिछले कुछ वर्षों में वह विभिन्न भारतीय राज्यों और बांग्लादेश से 200 से 250 लड़कियों को फंसाने में कामयाब रहा।
एमबीवीवी के पुलिस उपायुक्त अविनाश अंबुरे ने कहा कि दास पर भारतीय दंड संहिता, भारतीय पासपोर्ट अधिनियम और विदेशी अधिनियम सहित अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।