आज गीता जयंती है। आज से लगभग सवा पांच हजार वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अवसादग्रस्त अर्जुन को जो उपदेश दिया, उसे गीता नाम दिया गया है, जो ज्ञान अर्जुन को दिया गया वह मात्र अर्जुन के लिए ही नहीं था, वह पूरी मानवता के लिए है।
वह जितना उपयोगी उस काल में था, उतना ही उपयोगी वर्तमान में है और भविष्य में भी उतना ही उपयोगी रहेगा। यह ज्ञान सदैव ही भ्रमित मानवता को राह दिखाता रहेगा। श्रीमद्भागवत गीता ज्ञान का अद्भुत भंडार है, जो मानव के अज्ञानता के आवरण को हटाकर आत्म ज्ञान की ओर प्रवृत करता है।
आज का मानव अपने किये कर्म का फल तुरन्त चाहता है, बल्कि सफलता के लिए छोटा मार्ग (Shortcut) अपनाना पसंद करता है। आदमी को उतावलापन त्यागने का उपदेश भगवान कृष्ण ने गीता में दिया है। उन्होंने धैर्य धारण करने का परामर्श दिया। धैर्य का महत्व बताते हुए भगवान कृष्ण कहते हैं कि धैर्य के बिना अज्ञान, दुख, मोह क्रोध, काम और लोभ से निवृत्ति नहीं मिल पायेगी।
आज दुनिया यदि गीता से ज्ञान प्राप्त करे तो अराजकता और अशान्ति भूमंडल से समाप्त हो जाये और चहुंओर शान्ति का साम्राज्य स्थापित हो जाये। आज के दिवस को मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है। वास्तव में गीता का ज्ञान मोक्ष देने वाला है। यदि हम इस ज्ञान को अपने आचरण में ले आये तो हमें निश्चय ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाये।