ग्रेटर नोएडा। उत्तर प्रदेश रेरा अपने आदेश के पालन नहीं करने पर अब बिल्डरों पर शिकंजा कसता हुआ दिखाई दे रहा है। रेरा ने वेब ग्रुप और महागुन ग्रुप के प्रतिनिधियों को रेरा दफ्तर में उपस्थित होकर अपने साक्ष्य को प्रस्तुत करने का अंतिम अवसर दिया है।
इस अंतिम अवसर के बाद रेरा का चाबुक दोनों बिल्डरों पर चल सकता है। जिसमें दोनों को प्रोजेक्ट कॉस्ट का 5 प्रतिशत से ज्यादा रकम जुर्माने के रूप में अदा करनी पड़ेगी। शिकायतकर्ता का आरोप है कि परियोजना पूर्ण होने तथा पर्याप्त समय मिलने के बाद भी प्रोमोटर्स द्वारा आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है। इस मामले पर अब रेरा पीठ ने सख्त रुख अपनाया है। जिसके बाद रेरा ने पहली बार प्रोमोटर्स द्वारा आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए उनके प्रतिनिधियों को सुनवाई में पीठ के समक्ष भौतिक रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने का अंतिम अवसर प्रदान किया है।
रेरा के मुताबिक, आदेश का अनुपालन न किए जाने की स्थिति में धारा-63 के नियमों के अन्तर्गत कार्यवाही की जायेगी। रेरा चेयरमैन संजय भूसरेड्डी ने प्रदेश के दो प्रोमोटर्स- मेसर्स उप्पल चड्ढा हाई-टेक डेवलपर्स प्रा. लि. तथा मेसर्स हेबे इन्फ्रस्ट्रक्चर प्रा. लि. को कठोरतम कार्यवाही किए जाने की चेतावनी देते हुए पारित आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अंतिम अवसर प्रदान किया है।
दरअसल, मेसर्स उप्पल चड्ढा हाई-टेक डेवलपर्स प्रा. लि. (वेब ग्रुप) के प्रकरण में शिकायत की सुनवाई करते हुए रेरा ने आदेश पारित किया था। ये आदेश 31 जनवरी 2023 को दिया गया था। जिसमें शिकायतकर्ता को उसकी इन्वेंटरी देने का आदेश दिया गया था। जिसके बाद शिकायतकर्ता ने 11 अप्रैल को फिर से आवेदन किया था। जिसमें बताया गया कि लगभग 11 माह बीत जाने के बाद भी रेरा के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है। इसी प्रकार हेबे इन्फ्रस्ट्रक्चर प्रा. लि. (महागुन) के प्रकरण में भी आदेश 19 जून 2023 को पारित किया गया था। लेकिन, लगभग सात माह बीत जाने के बाद भी न तो रेरा के आदेश का अनुपालन किया गया है और न ही रिकॉर्ड को पोर्टल पर अपलोड किया गया।
इस बात का संज्ञान लेते हुए रेरा चेयरमैन ने रेरा अधिनियम की धारा-35 व 36 में निहित शक्तियों का उपयोग करते हुए पीठ एक द्वारा प्रोमोटर के प्रतिनिधि को सुनवाई में भौतिक रूप से उपस्थित होकर आदेश के अनुपालन की स्थिति स्पष्ट करने एवं विलम्ब का कारण बताने का आदेश दिया गया है। रेरा चेयरमैन संजय भूसरेड्डी ने कहा कि प्रोमोटर्स को आदेश का अनुपालन करने के लिए पर्याप्त समय मिला था, लेकिन उनका यह कृत्य जानबूझकर शिकायतकर्ता को परेशान करने वाला तथा प्राधिकरण का समय व्यर्थ करने जैसा है।