गाजियाबाद। गाजियाबाद कमिश्नरेट में भाजपा के निगम पार्षद सुधीर कुमार की गिरफ्तारी को लेकर निगम के समस्त पार्षद और पुलिस आमने-सामने हैं। निगम पार्षद अपने साथी की गिरफ्तारी पर सवाल खड़े कर रहे हैं। जबकि उनके साथी की वायरल वीडियो में गुंडई सामने आ चुकी है। यह गुंडई उस पार्टी के पार्षद ने की है जो कानून व्यवस्था के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश में दो बार से सत्ता पर काबिज है। जिस सरकार के मुखिया कानून व्यवस्था के मुद्दे और गुंडई के सख्त खिलाफ हैं, उसी पार्टी के पार्षद की गुंडई का वीडियो वायरल होने के बावजूद पार्टी के लोग हंगामा कर रहे हैं।
एक ओर सरकार के मुखिया महिला सशक्तिकरण पर जोर दे रहे हैं और महिला संबंधी अपराधों पर जीरो टॉलरेंस का दावा कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर उसी पार्टी का पार्षद और उसके गुंडे एक अबला नारी की इज्जत को सरेराह तार—तार करते हुए कैमरे में कैद हुए हैं। इसके बावजूद नगर निगम से लेकर पुलिस कमिश्नरेट के मुख्यालय तक भाजपा के पार्षद न सिर्फ पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं बल्कि, अपनी सरकार के मुखिया के दावों की धज्जियां उड़ाने में लगे हैं।
वायरल वीडियो में वार्ड-28 राजीव कॉलोनी मोहननगर के भाजपा पार्षद सुधीर कुमार कैद हैं। वह न सिर्फ गरीब महिला से अभद्रता करते नजर आ रहे हैं। बल्कि, साथियों संग उसके खोखे को भी नेस्तानाबूद करते दिखाई दे रहे हैं। इतना ही नहीं महिला सीता के पति को सड़क पर गिराकर पीटा गया। पार्षद और उनके साथियों ने देर रात को जिस तरह से गुंडई का तांडव किया वह सरकार के दावों और प्रदेश का आइना कही जानी वाली गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट में कानून व्यवस्था को ध्वस्त करने से कम जान नहीं पड़ता। महिला ने दुकान से तीन हजार रुपए लूटे जाने का आरोप लगाया। महिला चाहती तो वह इससे अधिक रुपए की रकम लूटे जाने का जिक्र कर सकती थी, लेकिन उसने जैसा हुआ वैसा ही रिपोर्ट में लिखाया। दर्ज एफआईआर में आरोप तो यह भी है कि पार्षद सुधीर कुमार उनसे छह हजार रुपए महीना अवैध वसूली का भी दबाव बना रहा था।
प्रदर्शनकारी निगम पार्षदों का आरोप है कि पुलिस ने महिला की शिकायत पर भाजपा पार्षद को बिना जांच करे जेल भेज दिया। वह खुद को जनप्रतिनिधि बताकर बिना जांच किए साथी को जेल भेजने पर ऐतराज जता रहे थे। लेकिन नियमानुसार पार्षद जनप्रतिनिधि की उस श्रेणी में नहीं आता कि पुलिस को उसके खिलाफ केस दर्ज करने और जेल भेजने से पूर्व या तो जांच करनी चाहिए थी या फिर किसी से परमिशन की जरूरत थी।
पहले तो यह अपराधिक कृत्य का प्रकरण जांच की परिधि में नहीं आता, इसके बावजूद जिस महिला संबंधी अपराध का सीधे तौर पर वीडियो वायरल हुआ हो और पार्षद समेत 8 से 10 लोगों की गुंडई साफतौर पर नजर आ रही हो, उस केस में जांच की मांग करना किसी बेमानी से कम जान नहीं पड़ता। कानून के जानकार बताते हैं कि जिस तरह का यह घटनाक्रम वायरल वीडियो में दिखाई दिया है, इस तरह के केस में पुलिस चाहती तो डकैती की धारा का केस भी दर्ज कर सकती थी।