संसार की अन्य योनियों और मनुष्य योनि में यूं तो बहुत बड़ा अन्तर है, परन्तु सबसे बड़ा अन्तर है कि मनुष्य को सब योनियों से अलग ‘विवेक का वरदान दिया है। वह अच्छे-बुरे को समझने की क्षमता रखता है। दुख है तो इस बात का कि विवेक होते हुए भी वह अपने काम कम करता है और बुराई के कार्य अधिक करता है।
विवेक कहता है कि बुराईयों से दूर रहो और और अपने जीवन का पल-पल सृजन में लगाओ। समझे कि यह दुनिया नश्वर है। शाश्वत सत्य उसका किया गया पुण्य कर्म है। आजीवन इसी की उपासना, आराधना में राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध, दयानन्द, नानक जैसे महामानवों की भांति लगे रहे।
आवश्यकता है आज जीवन और संसार को समझने की। यदि आप इन्हें समझ जायेंगे तो आपका संसार सुन्दर बन जायेगा। संवर जायेगा। कहा जाता है कि जैसा विचार वैसा ही संसार। जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि। आप इस संसार में निर्विकार, निर्दोष, निरहंकार, निश्छल जीवन जीने का अभ्यास बनाये।
कुछ परम्पराओं ने जो आपके मन मस्तिष्क को दूषित कर दिया है, जो दोष दुर्गण भर दिये हैं, उनकी जड़ों को उखाड़ फेंके। सतत आत्म चिंतन करते रहे। सत्य की प्रेरणा, सहयोग आपको स्वयंमेव मिलते रहेंगे। फिर आपका जीवन सुखमय और गौरवशाली होगा।