Friday, November 22, 2024

अनमोल वचन

इस नश्वर संसार में  हर व्यक्ति किसी न किसी बात से परेशान रहता है, कोई न कोई चिंता उसे खाये रहती है। जीवन की छोटी-बड़ी घटनाओं से किसी न किसी रूप में वह हमेशा परेशान रहता है। कदाचित इस सत्य से इंकार करना सरल नहीं होगा कि यदि पूरे भू-मंडल पर किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश की जाये, जो चिंताओं और परेशानियों से पूर्ण रूप से मुक्त हो तो अंत में असफलता ही हाथ लगेगी।

आश्य यह है कि मानव जीवन का चिंताओं और परेशानियों से सम्बन्ध शाश्वत है, जो जन्म की पहली सांस से लेकर मृत्यु की अंतिम सांस तक अनवरत रूप से चलता रहता है। इसका कारण खोजने के लिए हमें आत्म विश्लेषण करना जरूरी है। सच यह है कि मानव का मन इच्छाओं से इस स्तर तक बंधा होता है कि मन में कोई इच्छा उठी नहीं कि तुरन्त उसकी पूर्ति की चिंता होना आरम्भ हो जाता है। इन इच्छाओं की लीला भी बड़ी गजब है।

एक इच्छा पूरी नहीं हुई कि दूसरी उठ खडी होती है फिर तीसरी और फिर अनन्त तक, यही क्रम चलता रहता है। चिंताओं से बचने के लिए मन पर नियंत्रण अनिवार्य है। यह कार्य सरल नहीं। इसके लिए इच्छाओं को न्यूनतम करना पड़ेगा। गौतम बुद्ध ने इच्छाओं को ही सांसारिक दुखों का कारण बताया। सात्विक जीवन मूल्यों को अपनाकर ही इच्छाओं का शमन सम्भव है। इच्छाओं का शमन कर ही मानव जीवन को सही दिशा दे सकता है।

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