Thursday, September 19, 2024

इस्लाम आधुनिकीकरण और खेल का विरोधी नहीं- सूफ़ी कौसर मजीदी

मेरठ। इस्लाम न तो आधुनिकरण का विरोधी है और न ही खेलकूद का, इस्लाम उन बातों से दूर रहने की बात करता है जो नैतिकता के विरुद्ध हैं। कुरान में बारंबार ऐसी चीजों से दूर रहने को कहा गया है। जिसमे कोई बुराई नहीं, इस्लाम उस सोच को सोचने से भी मना करता है, जिससे सामाजिक बुराई जन्म ले, पवित्र कुरान में लिखा हुआ है, ए ईमान वालों बहुत गुमानों से बचो कहीं कोई गुमान गुनाह न हो जाए। ये बातें सूफी कौसर मजीदी ने सूफ़ी खानकाह एसोसिएशन की एक बैठक में कही। उन्होंने कहा कि

 

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

खेलों और आधुनिकरण से दूर रहने के फरमानों को कुछ कट्टरपंथियों ने इस कदर तोड़ मरोड़ कर पेश किया है। जिससे यह गुमान होने लगता है कि इस्लाम बहुत कट्टर है। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि इस्लाम सरल है और सरलता को प्रेरित करता है।

 

उन्होंने कहा कि यकीनन इस्लाम हर उस चीज से मना करता है जिससे बंदे और माबूद के संपर्क में कमी आए। यानी नमाज़ से दूर करने वाले अमलियात से बचने को इस्लाम प्रेरित करता है। अक्सर कुछ कट्टर पंथी इसका अनुवाद खेलकूद से कर देते हैं। जो कि गलत है, इस्लाम किसी भी तरह से खेल का विरोधी नहीं है, बल्कि कालांतर में इस्लामी विद्वान उन खेलों को महत्व देते थे जिनसे शारीरिक विकास हो और मनुष्य बलवान हो। घुड़सवारी, तैराकी, कुश्ती, पोलो जैसे खेल इस्लामी शासन प्रशासन में प्रश्रय पाते रहे हैं।

 

फन सिपहगिरी यानी सैन्य विज्ञान मध्यकाल में इस्लामी शिक्षण व्यवस्था का अभिन्न अंग रहा है, नए नए अविष्कार और ज्ञान को इस्लाम ने सदैव प्रोत्साहित किया है। कालांतर में इस्लामी वैज्ञानिकों द्वारा अजेय किलों को भेदने के लिए मिंजनीक नामक अस्त्र बनाया गया था जिसे विकसित करते हुए उसी माडल पर तोप बनाई गई जो विकसित होते होते टैंक का रूप धारण कर चुकी है।

Related Articles

STAY CONNECTED

74,334FansLike
5,410FollowersFollow
107,418SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय