प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक हिंदू लड़की की हत्या के आरोपी शोएब अख्तर को जमानत देने से इनकार कर दिया। शोएब ने लड़की की हत्या इसलिए कर दी थी, क्योंकि 2020 में सह-आरोपी एजाज अहमद से शादी करने के बाद इस्लाम धर्म अपनाने से इनकार कर दिया था।
न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने अपराध की प्रकृति, आवेदक शोएब अख्तर को सौंपी गई भूमिका और मुकदमे के चरण को ध्यान में रखते हुए आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया। हालाँकि, ये भी गौर करने वाली बात है कि, जिस व्यक्ति ने मजहब के नाम पर किसी को मार डाला हो, तो ये आतंकी गतिविधि के सामान है। ऐसा व्यक्ति किस आधार पर जमानत मांग सकता है, क्या वकीलों को ऐसे आरोपियों की पैरवी करनी चाहिए ? ये भी एक बड़ा सवाल है।
बता दे कि, उल्लेखनीय है कि शोएब अख्तर पर यूपी के सोनभद्र जिले में चोपन पुलिस ने IPC की धारा 302 [हत्या] और 201 [अपराध के सबूतों को गायब करना या अपराधी को बचाने के लिए गलत जानकारी देना] के तहत मामला दर्ज किया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी शोएब अख्तर ने प्रिया की हत्या इसलिए कर दी क्योंकि उसने सह-आरोपी और अख्तर के मित्र एजाज अहमद से शादी करने के बाद इस्लाम धर्म अपनाने से इनकार कर दिया था। आरोपी एजाज हिंदू पीड़िता को तब तक अपने घर नहीं लाना चाहता था जब तक कि वह इस्लाम धर्म नहीं अपना लेती। चूंकि पीड़िता अपनी हिंदू पहचान नहीं छोड़ना चाहती थी, इसलिए एजाज ने उसे ओबला इलाके में एक किराए के कमरे में रखा।
यहाँ, एजाज लगातार पीड़िता पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव बना रहा था। जब हिंदू लड़की ने धर्म परिवर्तन करने से इनकार कर दिया, तो गुस्साए एजाज ने अपने एक अन्य दोस्त शोएब अख्तर को बुलाया। दोनों मुस्लिम युवक प्रिया को पास के जंगल में ले गए और उसकी हत्या कर दी। हिंदू लड़की का कटा हुआ सिर वाला शव सड़क के पश्चिमी किनारे पर जंगल की ओर नाले में पड़ा पाया गया था। यह आरोपी शोएब अख्तर द्वारा अपने वकील सौरभ पांडे के माध्यम से दायर की गई दूसरी जमानत याचिका है। इससे पहले उसने पिछले साल जनवरी में अपने वकील के माध्यम से जमानत के लिए आवेदन किया था। हालांकि, अदालत ने तब भी याचिका को खारिज कर दिया था, “इस तथ्य पर विचार करते हुए कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, मृतक की मौत गर्दन के शरीर से अलग होने के कारण हुई थी।”
मृतक पीड़िता की बहन शर्मिला ने अपने बयान में कहा कि प्रिया उसे बताती थी कि कैसे एजाज अहमद और उसका दोस्त शोएब अख्तर उस पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव बना रहे थे, जबकि वह ऐसा करने के लिए तैयार नहीं थी। अदालत ने अपने आदेश में भी ये बात कही है कि, ‘सिर्फ इसलिए सह-आरोपी एजाज अहमद और वर्तमान आवेदक शोएब अख्तर ने लड़की की हत्या कर दी, क्योंकि मृतक मुस्लिम धर्म स्वीकार नहीं कर रही थी। दोनों आरोपियों को एक साथ पकड़ा गया और उनके खुलासे पर आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई। उन्हें जमानत देने का कोई कारण नहीं दिखता।”